________________ निरीक्षण किया और यह पता लगाया कि दुर्बलता, विचारों की मलिनता अथवा अन्य दोष कहाँ छिपे हुए हैं? आलोचना के बाद प्रतिक्रमण किया। इसका अर्थ है 'वापिस आया।' आत्मा रागद्वेष तथा कषायों के कारण बाहर की ओर भटकता रहता है। इन्द्रियों के विषयों एवं अन्य सुखों की ओर भागता है। उसे वहाँ से हटाकर पुनः अपनी स्वाभाविक स्थिति में लाना ही प्रतिक्रमण है। प्रतिक्रमण आलोचना के पश्चात् होता है क्योंकि आत्म-दोषों का पता लगे बिना उनसे हटना सम्भव नहीं है। अपनी स्वाभाविक स्थिति प्राप्त होने पर आत्मा क्लेशों से मुक्त हो जाता है और आन्तरिक आनन्द का अनुभव करता है। इसी को समाधि कहते हैं। प्रतिक्रमण के पश्चात् कामदेव ने इस अवस्था को प्राप्त किया। || सप्तम अङ्ग उपासकदशा का द्वितीय कामदेव अध्ययन समाप्त / श्री उपासक दशांग सूत्रम् / 234 / कामदेव उपासक, द्वितीय अध्ययन