________________ करता हुआ बीस वर्ष तक श्रमणोपासक पर्याय पालकर, ग्यारह उपासक प्रतिमाओं (अभिग्रहों) को सम्यक् प्रकार से काय द्वारा स्पर्श करके मासिकी संलेखना द्वारा आत्मा को जोषित कर अनशन द्वारा साठ भक्तों का छेदन करके अर्थात् एक मास तक संथारा करके, आलोचना करके तथा पापों से निवृत्त होकर के यथावसर समाधिपूर्वक मृत्यु प्राप्त कर सौधर्म कल्प के सौधर्मावतंसक महाविमान के उत्तरपूर्व में अरुणाभ नामक विमान में देवरूप से उत्पन्न हुआ। वहां पर बहुत से देवों की चार पल्योपम की स्थिति है, कामदेव की स्थिति भी चार पल्योपम बताई गई है। ___कामदेव का भविष्यमूलम्— “से णं, भंते ! कामदेवे देवे ताओ देव-लोगाओ आउ-क्खएणं भव-क्खएणं ठिइ-क्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता, कहिं गमिहिइ, कहिं उववज्जिहिइ?" “गोयमा! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ'' || निक्खेवो // 124 // // सत्तमस्स अङ्गस्स उवासगदसाणं बिइयं कामदेवज्झयणं समत्तं॥ छाया-“स खलु भदन्त ! कामदेवो देवस्तस्माद्देवलोकादायुःक्षयेण भवक्षयेण स्थितिक्षयेणानन्तरं चयं च्युत्वा कुत्र गमिष्यति / कुत्रोत्पत्स्यते? “गौतम ! महाविदेहे वर्षे सेत्स्यति'। निक्षेपः / || सप्तमस्याङ्गस्योपासकदशानां द्वितीयं कामदेवमध्ययनं समाप्तम् / / शब्दार्थ से णं भंते! कामदेवे देवे हे भगवान् वह कामदेव नामक देव, ताओ देव लोगाओ उस देवलोक से, आउक्खएणं—आयु क्षय, भवखएणं भवक्षय, ठिइक्खएणं स्थिति क्षय के, अणंतरं चयं चइत्ता—अनन्तर च्यवकर, कहिं गमिहिइ–कहाँ जाएगा?, कहिं उववज्जिहिइ–कहाँ उत्पन्न होगा? गोयमा ! हे गौतम!, महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ–महा विदेह नामक वर्ष में सिद्ध होगा। निक्षेप। __भावार्थ (गौतम ने पूछा) "हे भगवन् ! वह कामदेव नामक देव उस देवलोक से आयु क्षय, स्थिति क्षय और भव क्षय होने पर च्यवकर कहां जाएगा ? कहाँ उत्पन्न होगा ?" भगवान् ने उत्तर दिया हे गौतम ! महाविदेह नामक वर्ष में उत्पन्न होकर सिद्धि प्राप्त करेगा।' निक्षेप पूर्ववत् / टीका–उपसर्ग की घटना के पश्चात् कामदेव ने प्रतिमाएँ अङ्गीकार की, आत्मशुद्धि के मार्ग पर उत्तरोत्तर बढ़ता गया और बीस वर्ष तक श्रावक के रूप में धर्मानुष्ठान करके स्वर्ग में उत्पन्न हुआ। वहाँ से च्यवन करके वह भी महाविदेह क्षेत्र में उत्पन्न होगा और मोक्ष प्राप्त करेगा। ___ सूत्र में नीचे लिखे तीन पद ध्यान देने योग्य हैं—आलोइय, पडिक्कते और समाहिपत्ते—कामदेव ने सर्व प्रथम आलोचना की। इसका अर्थ है अच्छी तरह देखना। उसने अपने जीवन का सूक्ष्म श्री उपासक दशांग सूत्रम् / 233 / कामदेव उपासक, द्वितीय अध्ययन