________________ छाया ततः खलु स कामदेवः श्रमणोपासको हृष्टो यावत् श्रमणं भगवन्तं महावीरं प्रश्नान् पृच्छति, पृष्ट्वा अर्थमाददाति, अर्थमादाय श्रमणं भगवन्त महावीरं त्रिःकृत्वो वदन्ते नमस्यति, वं. न. यस्या एव दिशः प्रादुर्भूतस्तामेव दिशां प्रतिगतः। शब्दार्थ तए णं तदनन्तर, से कामदेवे समणोवासए वह कामदेव श्रमणोपासक, हट्ठ—प्रसन्न हुआ, जाव—यावत् (उसने), समणं भगवं महावीरं श्रमण भगवान् महावीर से, पसिणाई पुच्छइ—प्रश्न पूछे, पुच्छित्ता—पूछकर अट्ठमादियइ–अर्थ ग्रहण किया, अट्ठमादिइत्ता—अर्थ ग्रहण करके, समणं भगवं महावीरं वं.नं.–श्रमण भगवान् महावीर को वन्दना, नमस्कार कर, जामेव दिसं पाउब्भूए—जिस दिशा से आया था, तामेव दिसं पडिगए—उसी दिशा में वापिस चला गया। भावार्थ कामदेव श्रमणोपासक ने प्रसन्न होकर भगवान् महावीर से प्रश्न पूछे, अर्थ ग्रहण किया, पुनः भगवान् को नमस्कार की और जिस दिशा से आया था, उसी दिशा में वापिस चला गया। ___ भगवान् का चम्पा से विहारमूलम् तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ चम्पाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवय-विहारं विहरइ // 121 // छाया ततः खलु श्रमणो भगवान् महावीरोऽन्यदा कदाचिच्चम्पातः प्रतिनिष्क्रामति, प्रतिनिष्क्रम्य बहिर्जनपदविहारं विहरति / ___ शब्दार्थ तए णं तदनन्तर, समणे भगवं महावीरे-श्रमण भगवान् महावीर, अन्नया कयाइ–एक दिन, चम्पाओ पडिणिक्खमइ–चम्पा से प्रस्थान कर गए, पडिणिक्खमित्ता प्रस्थान करके, बहिया जणवय विहारं विहरइ–अन्य जनपदों में विहार करने लगे। ___भावार्थ श्रमण भगवान महावीर ने अन्य किसी दिन चम्पा से प्रस्थान कर दिया और अन्य जनपदों में विचरने लगे। कामदेव द्वारा प्रतिमा ग्रहणमूलम् तए णं से कामदेवे समणोवासए पढम उवासग-पडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ // 122 // .. छाया–ततः खलु स कामदेवः श्रमणोपासकः प्रथमामुपासकप्रतिमामुपसंपद्य विहरति / शब्दार्थ तए णं तदनन्तर, से कामदेवे समणोवासए—वह कामदेव श्रमणोपासक, पढमं उवासगपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ—प्रथम उपासक प्रतिमा को ग्रहण करके विचरने लगा। भावार्थ तत्पश्चात् कामदेव श्रमणोपासक ने प्रथम उपासक प्रतिमा ग्रहण की। / श्री उपासक दशांग सूत्रम् | 231 / कामदेव उपासक, द्वितीय अध्ययन