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________________ का धन्धा करना। कुछ आचार्यों के मत में चमरी आदि के बालों का व्यापार भी इसी में सम्मिलित है। मोरपंख तथा ऊन का व्यापार इस में नहीं आता क्योंकि उन्हें प्राप्त करने के लिए मोर और भेड़ आदि को मारना नहीं पड़ता। इसके विपरीत चमरी गाय के बाल उसे बिना मारे नहीं प्राप्त होते / 11. जन्त-पीलण-कम्मे—(यन्त्र-पीडन कर्म)—घाणी, कोल्हू आदि यन्त्रों के द्वारा तिल, सरसों आदि पीलने का धन्धा करना। 12. निल्लंछण कम्मे (निर्लाञ्छन कर्म)—बैल आदि को नपुंसक बनाने अर्थात् खसी करने का धन्धा / 13. दवग्गिदावणया (दावाग्निदापन)–जंगल में आग लगाना। जंगल की आग अनियन्त्रित होती है और उसके द्वारा तत्रस्थ अनेक त्रस जीवों का भी संहार होता है। ____14. सरदहतलाय सोसणया (सरोह्रद तडाग शोषणम्) तालाब, झील, सरोवर, नदी आदि जलाशयों को सुखाना / इस पर वृत्तिकार के नीचे लिखे शब्द हैं— सरसः स्वयं संभूत जलाशय विशेषस्य, हृदस्य नद्यादिषु निम्नतर प्रदेशलक्षणस्य तडागस्य कृत्रिम जलाशयविशेषस्य परिशोषणं यत्तत्तथा, प्राकृतत्वात् स्वार्थिक ता प्रत्ययः 'सरदहतलाय परिसोसणंया।' यहाँ सर, ह्रद तथा तडाग में नीचे लिखा भेद बताया गया है सर—ऐसा जलाशय, जो स्वयं संभूत अर्थात् अपने आप निष्पन्न हो गया हो, इसे झील भी कहा .जाता है। हृद-नदी आदि का वह निम्नतर भाग, जहां पानी संचित हो जाता है। तडाग कृत्रिम जलाशय। . भगवती सूत्र की वृत्ति में भी यही बात कही गई है—“सरोह्रदतडाग परिशोषणता, तत्र सरः-स्वभाव निष्पन्नं, ह्रदो-नद्यादीनां निम्नतरः प्रदेशः तडागं खननसम्पन्नमत्तानविस्तीर्ण जलस्थानम्, एतेषां शोषणं गोधूमादीनां वपनार्थम् / " 15. असई जणपोसणया (असतीजनपोषणता) व्यभिचारवृत्ति के लिए वेश्या आदि को नियुक्त करना तथा शिकार आदि के लिए कुत्ते, बिल्ली आदि पालना, इस अतिचार के विषय में भगवती सूत्र तथा उपासकदशाङ्गसूत्र की वृत्ति में इस प्रकार लिखा है-"असतीजनपोषणताअसतीजनस्यपोषण तद्भाटिकोपजीवनार्थं यत्तत्तथा, एवंमन्यदपि क्रूरकर्मकारिणः प्राणिनः तेषां पोषणमसतीजनपोषणमेवेति / * भगवती सूत्र की वृत्ति। | श्री उपासक दशांग सूत्रम् / 127 / आनन्द उपासक, प्रथम अध्ययन
SR No.004499
Book TitleUpasakdashang Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_upasakdasha
File Size9 MB
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