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________________ (14) ओदन विधि मूलम् तयाणंतरं च णं ओयणविहिपरिमाणं करेइ। नन्नत्थ कलमसालि ओयणेणं, अवसेसं ओयणविहिं पच्चक्खामि // 35 // छाया—तदनन्तरं च खलु ओदनविधि परिमाणं करोति। नान्यत्र कलमशाल्योदनात्, अवशेषमोदनविधिं प्रत्याख्यामि।। शब्दार्थ तयाणंतरं च णं इसके पश्चात्, ओयणविहिपरिमाणं करेइ ओदनविधि का परिमाण किया, कलमसालि ओयणेणं—कलम जातीय चावलों के, नन्नत्थ—अतिरिक्त अवसेसं—अन्य सब ओयणविहिं—ओदनविधि का, पच्चक्खामि—प्रत्याख्यान करता हूं। भावार्थ इसके बाद ओदनविधि का परिमाण किया और कलम जातीय चावलों के अतिरिक्त अन्य सब प्रकार के चावलों का प्रत्याख्यान किया। ___टीका कलमसालि कलम उत्तम जाति बासमति के चावलों का नाम है। प्रतीत होता है, उन दिनों भी बिहार प्रान्त का मुख्य भोजन ओदन अर्थात् चावल था, गेहूँ नहीं। आजकल भी वहाँ मुख्य रूप से चावल ही खाया जाता है। (15) सूपविधि मूलम् तयाणंतरं च णं सूवविहि परिमाणं करेइ। नन्नत्थ कलायसूवेण वा, मुग्गमाससूवेण वा, अवसेसं सूवविहिं पच्चक्खामि // 36 // * छाया तदनन्तरं च खलु सूपविधि परिमाणं करोति / नान्यत्र कलायसूपाद्वा, मुद्गमाषसूपाद् वा, अवशेषं सूपविधिं प्रत्याख्यामि। शब्दार्थ तयाणंतरं च णं इसके अनन्तर, सूवविहि परिमाणं सूपविधि का परिमाण, करेइकिया, नन्नत्थ कलायसूवेण वा मुग्गमाससूवेण वा—मटर तथा मूंग और उड़द की दाल के अतिरिक्त, अवसेसं—अन्य सब, सूवविहिं—दालों का, पच्चखामि–प्रत्याख्यान करता हूँ। भावार्थ तदनन्तर सूपविधि अर्थात् दालों का परिमाण किया और मटर, मूंग तथा उड़द की दाल के अतिरिक्त अन्य सब प्रकार की दालों का प्रत्याख्यान किया। टीका कलायसूवेण इस पर वृत्तिकार ने लिखा है—कलायाः चणकाकाराधान्यविशेषाः अर्थात् कलाय—चने के आकार वाले धान्यविशेष को कलाय (मटर) कहते हैं। (16) घृतविधि मूलम् तयाणंतरं च णं घयविहिपरिमाणं करेइ। नन्नत्थ सारइएणं गोघयमण्डएणं, अवसेसं घयविहिं पच्चक्खामि // 37 // | श्री उपासक दशांग सूत्रम् / 102 / आनन्द उपासक, प्रथम अध्ययन
SR No.004499
Book TitleUpasakdashang Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_upasakdasha
File Size9 MB
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