________________ (338) श्री कल्पसूत्र-बालावबोध 40. वचनचातुर्य, 41. भोजनविधि, 42. वाणिज्यविधि, 43. मुखमंजन, 44. शालिखंडन, 45. कथाकथन, 46. फुलगूंथन, 47. वक्र बोलना, 48. काव्यशक्ति, 49. वेश बनाना, 50. सब प्रकार की भाषाएँ बोलना, 51. अभिधानज्ञान, 52. अलंकार पहनना, 53. राजा की भक्ति करना, 54. घर का आचार सीखना, 55. काव्यकरण, 56. पर को हराना, 57. धान्य राँधना, 58. केश बाँधना-गूंथना, 59. वीणा बजाना, 60 वितंडावाद, 61. अंकविचार, 62. लोकव्यवहार, 63. अन्त्याक्षरिका और 64. प्रश्न प्रहेलिका। प्रभु के सौ पुत्रों के नाम 1. भरत, 2. बाहुबली, 3. शंख, 4. विश्वकर्मा, 5. विमल, 6. सुलक्षण, 7. अमल, 8. चित्रांग, 9. ख्यातकीर्ति, 10. वरदत्त, ११.सागर, 12. यशोधर, 13. अमर, 14. रथवर, 15. कामदेव, 16. ध्रुव, 17. वत्स, 18. नन्द, 19. सूर, 20. सुनन्द, 21. कुरु, 22. अंग, 23. बंग, 24. कोशल, 25. वीर, 26. कलिंग, 27. मागध, 28. विदेह, 29. संगम, 30. दशार्ण, 31. गंभीर, 32. वसुवर्मा, 33. सुवर्मा, 34. राष्ट्र, 35. सुराष्ट्र, 36. बुद्धिकर, 37. विविधकर, 38. सुयशा, 39. यशःकीर्ति, 40. यशस्कर, 41. कीर्तिकर, 42. सूरण, 43. ब्रह्मसेन, 44. विक्रान्त, 45. नरोत्तम, 46. पुरुषोत्तम, 47. चन्द्रसेन, 48. महासेन, 49. नभःसेन, 50. भानु, 51. सुकान्त, 52. पुष्पयुत, 53. श्रीधर, 54. दुर्धर्ष, 55. सुसुमार, 56. दुर्जय, 57. अजेयमान 58. सुधर्मा, 59. धर्मसेन, 60. आनन्दन, 61. आनन्द, 62. नन्दन, 63. अपराजित, 64. विश्वसेन, 65. हरिषेण, 66. जय, 67. विजय, 68. विजयन्त, 69. प्रभाकर, 70. अरिदमन, 71. मान, 72. महाबाहु, 73. दीर्घबाहु, 74. मेघ, 75. सुघोष, 76. विश्व, 77. वराह, 78. सुसेन, 79. सेनापति, 80. कपिल, 81. शैलविहारी, 82. अरिंजय, 83. कुंजरबल, 84. जयदेव, 85. नागद, 86. काश्यप, 87. बल, 88. सुवीर, 89. शुभमति, 90. सुमति, 91. पद्मनाभ, 92. सिंह, 93. सुजाति, 94. संजय, 95. सुनाभ, 96. नरदेव, 97. चित्तहर, 98. सुस्वर, 99. दृढ़रथ और 100. प्रभंजन।' सौ पुत्रों में से भरत को अयोध्या नगरी का, बाहुबली को तक्षशिला (गजनी) का और अन्य अठानबे पुत्रों को अंग, बंग, कलिंग, गौड़, चौड़, कर्नाटक, लाट, सौराष्ट्र 1. कल्पद्रुमकलिका आदि के टीकाकारों ने सौ पुत्रों के नाम अन्य प्रकार से भी लिखे हैं। उन्हें उन टीकाओं से जान लेना।