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________________ (334) श्री कल्पसूत्र-बालावबोध भले विनीत पुरुष हैं, इसलिए यहाँ विनीता नामक नगरी बसायी जाये। यह कह कर उन्होंने वैश्रमणदेव को नगरी बसाने की आज्ञा दी। तब वैश्रमणदेव ने बारह योजन लम्बी और नौ योजन चौड़ी विनीता नगरी का निर्माण किया। उसके आठ द्वार बनाये और चारों ओर किला बनाया। ईशानकोन में सात खंड का एक चौकोन भवन नाभिराजा के रहने के लिए बनाया तथा पूर्व दिशा में भरत के रहने के लिए सतखंडा भवन बनाया। अग्निकोण में बाहुबली के रहने के लिए विशाल सदन बनाया और उसके मध्य में श्री ऋषभदेवजी के रहने के लिए इक्कीस मंजिला मकान बनाया तथा एक सौ आठ जिनमंदिर बनाये। __इसके अलावा राज्य के लिए हाथी, घोड़ा, गाय, ऊँट, खच्चर, बैलप्रमुख चतुष्पदों का संग्रह किया। पहले ये हाथीप्रमुख सब जीव जंगल में घूमते रहते थे। कई युगलिकों को अपराधियों को दंड देने के लिए 'उग्रा' नाम से स्थापित किया। कइयों को गुरुस्थान दे कर ‘भोगा' नाम से स्थापित किया। कइयों को मंडलाधिप बना कर उन्हें 'राजन्य' नाम से स्थापित किया तथा अन्यों को 'पैदल क्षत्रिय' नाम से स्थापित किया। इस तरह चार प्रकार के पुरुषों की व्यवस्था हुई तथा जो ब्रह्मचर्य पाले वह ब्राह्मण, शस्त्र रखे वह क्षत्रिय, खेती कराये वह वैश्य और सेवा करे वह शूद्र, ऐसे नाम स्थापित किये। इसी प्रकार विनीता नगरी में चौरासी बाजार बनाये। उनमें सौगंधिकगाँधी, तंबोली, हलवाई, सुनार, मनिहार, सुवर्णविक्रेता, माणिकविक्रेता, सराफ, भड़ जा, धान्यबाजार, बजाज, चमार, कसेरा, माली, घृतबाजार __इतने में इन्द्र का आसन कंपायमान हुआ। उसने वहाँ जा कर ऋषभजी को मुकुटादिक अलंकार पहना कर, सिंहासन पर बिठा कर, वस्त्रविभूषित कर के राज्याभिषेक विधि सम्पन्न कर दी। प्रभु के मस्तक पर छत्र रखा और स्वयं चामर बींझते हुए इन्द्र प्रभु की सेवा करने लगा। इतने में युगलिक भी कमलपत्र के दोने में पानी भर लाये। भगवान का स्वरूप सर्वालंकार विभूषित देख कर वे सोचने लगे कि भगवान के मस्तक पर अभिषेक करेंगे, तो सब वस्त्रालंकार भीग जायेंगे। इसलिए स्वामी का बायाँ पैर खाली है, तो इस पर अभिषेक करें। यह सोच कर उन्होंने बायें पैर पर अभिषेक किया।
SR No.004498
Book TitleKalpsutra Balavbodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay, Jayantsensuri
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year1998
Total Pages484
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size10 MB
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