________________ (306) श्री कल्पसूत्र-बालावबोध गुलाबप्रमुख सुगंधित जल छाँटने लगी, फूलों की गेन्द बना कर हृदय पर मारने लगीं, कटाक्षबाणों से बींधने लगी और कामचेष्टापूर्वक जल छाँटने लगीं। ऐसे अनेक प्रकार के हँसी-मजाक कर के वे कहने लगी कि हे देवर। विवाह मानो और एक स्त्री के साथ तो विवाह कर लो। यदि स्त्री का भरण-पोषण तुमसे नहीं होता हो, तो तुम्हारे भाई बत्तीस हजार स्त्रियों का भरण-पोषण करते हैं, वैसे ही तुम्हारी एक स्त्री का भी पोषण कर लेंगे। इस बात की जरा भी चिन्ता मत करना। तुम विवाह अवश्य कर लो। स्त्री के बिना पुरुष की शोभा नहीं होती, उस पर कोई विश्वास नहीं रखता और उसे कोई नहीं मानता तथा स्त्री के बिना शरीर की शुश्रूषा कौन करे? अतिथि-सत्कार कौन करे? इसलिए पाणिग्रहण अंगीकार करो और मनमानीती कन्या वरो। यह विनती मानो, बढ़े जैसे वानो। नहीं तो भी नहीं छूटो, जोर कर के झूठो। हमारे वश हुए आज, अब कैसी रखना लाज। ऐसे वचन सुन कर नेमीश्वर नीचे देखने लगे। स्त्रियों के साथ और क्या वचन-विचार करना? यह सोच कर उन्होंने हाँ या ना कुछ भी नहीं कहा। तब वे सब स्त्रियाँ कहने लगी कि माना रे माना विवाह, सबको हुआ उत्साह। श्री समुद्रविजयशिवादेवी रानी को उस काल, देवें वधामणी उजमाल। ___ श्रीकृष्ण नरिन्द, मन में आनन्द। उग्रसेन राजान, पास बहुमान। माँगी राजीमती कन्या, सतीशिरोमणि धन्या। उग्रसेन बोले सब साज, यहाँ लाओं वह वरराज। तो दे दूँ कन्या तास, जग विस्तरे जशवाद। . ___अब समुद्रविजय राजा, शिवादेवी रानी ने ज्योतिषी कोष्टक के मुख से श्रावण सुदि छठ का लग्न मुहूर्त जान कर बाँटी वधामणी, बुलाये सगे-संबंधी। किया महान आडम्बर, धवल मंगल गाये घर-घर। बनाये भल भले पकवान, जुगते चलावे जान। वह इस प्रकार से- सोलह हजार मुकुटबद्ध छत्राधिपति राजान, बयालीस लाख हस्ती ऐरावत समान। बयालीस लाख घोड़ा, सुवर्ण साज उन्हें सजोड़ा। बयालीस लाख रथ, शोभा पाते पथ। अड़तालीस कोड़ी पायक, शत्रुदलघायक। नव कोड़ि सामान्य तुरंगम, एक एक से अनुपम। छियानबे कोड़ि चिरागदार, नव कोड़ि छागलियादार। बारह कोड़ि बाजे बाजे, ऊपर सारा अम्बर गाजे। सांबकुमारप्रमुख साठ हजार दुर्दान्त कुमार पारसिक जाति के घोड़ों पर सवार हुए। प्रद्युम्नप्रमुख पचहत्तर हजार महाधीर कुमार हयरेवा जाति के घोड़ों पर आरूढ़ हुए। अरिमर्दनप्रमुख पाँच लाख कुमार बहोली जाति के अश्वों पर सवार हुए। वीरप्रमुख सात लाख कुमार पानीपंथा जाति के तुरंगों पर सवार हुए। सागरचन्द्रप्रमुख