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________________ (267) श्री कल्पसूत्र-बालावबोध वल्लहीपुरम्मि नयरे, देवड्डिपमुह सयलसंघेहिं। पुत्थे आगम लिहिओ, नवसयअसीयाओ वीराओ।।१।। तथा कोई ऐसा कहते हैं कि स्कन्दिलाचार्य ने माथुरीवाचना कर के पुस्तक लिखी है तथा कोई कहते हैं कि कालिकाचार्य ने चौथ की संवत्सरी नौ सौ तिरानबेवें वर्ष में स्थापित की और पाक्षिक-चौमासी एक दिन की स्थापित की। ऐसा कई लोग मतान्तर से कहते हैं। इसका मुद्दा केवली जानें। इस बात का विशेष विस्तार दीपिका प्रमुख से जान लेना। ____ श्री वीरप्रभु के शासन का परिमाण इक्कीस हजार वर्ष का कहा है। उनके नौ गणधर तो उनकी हाजिरी में ही राजगृही नगरी में एक महीने की संलेखना धारण कर परिवारसहित मोक्ष गये तथा वीरनिर्वाण के बारह वर्ष बाद श्री गौतमस्वामी मोक्ष गये। वर्तमान में पाँचवें काल में जो मुनिराज हैं, वे सब भगवान के प्राट पर पाँचवें गणधर श्री सुधर्मास्वामी बैठे थे, उनका परिवार जानना। वे श्री सुधर्मास्वामी वीरनिर्वाण के बीस वर्ष बाद मोक्ष गये ___तथा श्री वीर भगवान का जन्म चैत्र महीने में है और कार्तिक मास में वे मोक्ष गये हैं, इसलिए बहत्तर वर्ष की आयु बराबर मिलती नहीं है। इस विषय में कई ग्रंथों में संवत्सर के दिनमान का अन्तर दिखा कर समाधान करते हैं, परन्तु सत्य बात केवलीगम्य है। ये श्री महावीर के पाँच कल्याणक विस्तार से कहे। . इस छठे व्याख्यान तक श्री वीर भगवान का अधिकार जानना। जैनाचार्य श्रीमद् भट्टारक-विजयराजेन्द्रसूरीश्वर-सङ्कलिते श्री कल्पसूत्र-बालावबोधे षष्ठं व्याख्यानं समाप्तम्।। /
SR No.004498
Book TitleKalpsutra Balavbodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay, Jayantsensuri
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year1998
Total Pages484
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size10 MB
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