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________________ (150) श्री कल्पसूत्र-बालावबोध सेहरा, पट्ट-शिखर, चूडामणि, कटक, कंगन, अंगद, मुद्रानन्दक, दशमुद्रक, मुद्रिका, अंगुलीयक, कदंबक, पुष्पक, तिलभंगक, कर्णपीठिक, चत्रक, अजर, मेखला, मुंदक, पदक, पड़कडी, साँकला, साँकली, विशिष्ट मौक्तिकभंग, उतरी, डोरा, हँसली, कर्णपाल, संकपाल, गेययक, हेमजाली, मणिजाली, मौक्तिकजाली, रत्नजाली, गोपुच्छक, उरस्का, मर्मक, वर्ण, वरिका, हाँस, झांझर, नूपुर, धुंघरु, पागड़ा, बिछिया, अंगूथली, वालाजाली, झुमका, अंकोटा, रूपालहरिया, राखी, गोफना, फूली, सीथा, त्रसंटीआ, त्रोटी, बोर, कड़ी, छल्ला, मुरकी, मोती, नरकंठा, नागफन, तुंगल, चंपकली, पान, बाली, दुलरा, मोतासर, तांति, गांठिआ, बरघली, पहुँची, गलसिरी, टिकली, तिलक, आड़, नवग्रह, मुद्रिका, अंगूठी, वेढ, वींटी, वांकड़ा, छाप, करजाला, तावीज़, कन्दोरा, खेलतावीज, पट्टीवाला कन्दोरा, लटकन, मउड़, नागफुली, नाग-नागले, मौर, वैसण, नथ, कांटा, मयोदय, आंजन, ओगनिया, हिंगलु, कुंकुम, एला, यव, चूड़ी, चूड़ली, थर, कंगन, कारेली, लाली, पंचमेखला, हाथसाँकली, सोने के लहरिये, ताईत, कड़ले, सलिआला, कलाडी, अणवट्ट, लोलीए, कैंची, पाईल, सात अवेयक, नव ग्रैवेयक, छापलवींटी, मकोड़ाखली, जेदेह इत्यादिक अनेक जाति के आभरणों की वर्षा की। पुत्रजन्म की बधाई और बन्दीमोचनादिक ___पुत्रजन्म होने के बाद प्रियंवदा दासी ने सिद्धार्थ राजा को पुत्रजन्म की बधाई दी। उसे सुन कर सिद्धार्थ राजा ने रोम रोम में हर्षित हो कर एक मुकुट के अलावा शरीर पर धारण किये हुए सब आभूषण दासी को दे दिये। उसका सिर धुला कर उसका दासीत्व दूर किया और सात पीढ़ी तक खाने और खर्चने पर भी कम न हो, इतना सारा धन उसे दिया। ___.फिर सुबह के समय सिद्धार्थ राजा ने नगररक्षक को बुला कर आदेश दिया कि हे देवानुप्रिय ! तुम शीघ्र ही क्षत्रियकुंड नगर में बन्दीवानों को मुक्त कर दो और नाप-तौल बढ़ा दो। क्षत्रियकुंड नगर भीतर और बाहर से कचरा-काँटा निकलवा कर साफ करवाओ, लीपाओ, उस पर सुगंधित जल का छिड़काव करो। तिकोने मार्ग, तीनराहा, चौराहा तथा जहाँ अनेक मार्ग मिलते हैं वह चच्चर और राजमार्ग ये सब रास्ते पवित्र कराओ और कचरा-काँटा निकाल कर साफ करा कर समतल बनाओ। जिस पर बैठ
SR No.004498
Book TitleKalpsutra Balavbodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay, Jayantsensuri
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year1998
Total Pages484
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size10 MB
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