________________ श्री कल्पसूत्र-बालावबोध (103) समझ कर त्रिशला रानी से मधुर वचनों से वह कहने लगा कि हे देवानुप्रिये ! तूने मनोहर सपने देखे हैं। तूने कल्याणकारी सपने देखे हैं। तूने शिवकारक, धनकारक, आरोग्यकारक तथा बहुत लंबी उम्र करने वाले सपने देखे हैं। ___ उन सपनों का फल इस प्रकार है- तुम्हें अर्थलाभ होगा, भोगलाभ होगा, सुखलाभ होगा। अवश्य ही नौ महीने साढ़े सात दिन पूरे होने पर हमारे कुल में ध्वजासमान, द्वीपसमान, दीपकसमान, पर्वतसमान स्थिर, मुकुटसमान, तिलकसमान, सूर्यसमान, कुल का आधार, कुल की वृद्धि करने वाला, कुल की कीर्ति करने वाला, कुल का निर्वाह करने वाला, कुल का यश बढ़ाने वाला, कुल में वृक्ष समान, अनेक लोगों को अपनी छत्रछाया में रखने से कुल की विशेष वृद्धि करने वाला राजाधिराज ऐसा पुत्र होगा। _____ तथा सुकोमल हैं हाथ-पैर जिसके, संपूर्ण पंचेन्द्रियाँ हैं जिसकी, लक्षण, व्यंजन और गुणों से सहित मानोन्मान प्रमाण सर्व शरीर सुन्दर, चन्द्रमा के समान सौम्याकार, मनोहर, दर्शनीय ऐसा पुत्र तुम्हें होगा। वह पुत्र बालक अवस्था पूर्ण कर जब युवान अवस्था में आयेगा, तब सब कलाओं को मात्र देखने से जान लेगा। उसे सिखाना नहीं पड़ेगा। वह युवान अवस्था में शूरवीर महादानेश्वरी, स्वप्रतिज्ञा-निर्वाहक याने अपनी अंगीकार की हुई बात का निर्वाह करने वाला, संग्राम में वीर याने पीछे नहीं हटने वाला, जमीन पर राज करने वाला, बहुत हाथी, घोड़े, पायदल प्रमुख का मालिक ऐसा राजाओं का राजा होगा। इसलिए तुमने उत्तम सपने देखे हैं। इस तरह सिद्धार्थ राजा ने दो बार तीन बार त्रिशला रानी से कहा और खूब प्रशंसा की। . इसके बाद त्रिशला क्षत्रियाणी सिद्धार्थ राजा के मुख से यह बात सुन कर सन्तुष्ट हो कर हाथ जोड़ कर मस्तक पर अंजली कर के बोली कि हे स्वामिन् ! यह अर्थ ऐसा ही है। आपने कहा सो मान्य करने जैसा है, सन्देहरहित है, जैसा मैंने चाहा था, उसी के अनुसार मैंने आपके मुख से