________________ श्री कल्पसूत्र-बालावबोध (95) हजार कमल.आग्नेय कोण में है। मध्य पर्षदा के दस हजार मित्रस्थानीय देवों के बसने के दस हजार कमल दक्षिण दिशा में हैं। श्रीदेवी की बाह्य पर्षदा के किंकरस्थानीय बारह हजार देवों के बसने के बारह हजार कमल नैऋत्य कोण में हैं। श्रीदेवी के हाथी, घोड़ा, रथ, पायक, महिष, नाट्य, गंधर्व, इन सात कटकों के स्वामियों के रहने के सात कमल पश्चिम दिशा में है। लक्ष्मीदेवी के अंगरक्षक सोलह हजार देवों के बसने के सोलह हजार कमल, सो तीसरे वलय की चार दिशाओं में से प्रत्येक दिशा में चार चार हजार कमल गिनते सोलह हजार कमल हैं। चौथे वलय में श्रीदेवी के अभ्यन्तर आभियोगिक बत्तीस लाख देवों के बसने के बत्तीस लाख कमल हैं। पाँचवें वलय में श्रीदेवी के मध्यम चालीस लाख आभियोगिक देवों के चालीस लाख कमल हैं। छठे वलय में श्रीदेवी के अड़तालीस लाख बाह्य आभियोगिक देवों के अड़तालीस लाख कमल हैं। एवं मूल कमल सहित सब मिल कर छहों वलयों के.एक करोड़ बीस लाख पचास हजार एक सौ बीस कमल जानना। उन कंमलों का मान मुख्य कमल से ले कर अनुक्रम से आधा आधा प्रमाण लेना। ये सब कमलवासी देव श्रीदेवी का परिवार जानना। यह देवी भवनपति की जानना। __ जैनाचार्य श्रीमद् भट्टारक विजय राजेन्द्रसूरीश्वर-सङ्कलिते श्री कल्पसूत्र बालावबोधे द्वितीयं व्याख्यानं समाप्तम्। 卐卐卐 तृतीय व्याख्यान पाँचवें से चौदहवें स्वप्न तक का विस्तृत वर्णन . पाँचवें स्वप्न में त्रिशला क्षत्रियाणी ने फूलों की दो मालाएँ देखीं। वे मालाएँ कल्पवृक्ष के सरस फूलों के कारण बहुत मनोहर हैं। तथा चंपा के फूल, अशोक के फूल, पुन्नाग के फूल- नागप्रियंगु सरीखे इस फूल के