________________ (68) श्री कल्पसूत्र-बालावबोध हरिणगमेषी देव ने अपहरण कर त्रिशला क्षत्रियाणी की कोख में रखा और त्रिशला की कोख में रही हुई पुत्री को माहणकुंड नगर में देवानन्दा की कोख में रखा। ऐसा कभी नहीं होता। इसलिए यह तीसरा गर्भपालटन आश्चर्य जानना। चौथा अच्छेरा- श्री वीर भगवान को जब केवलज्ञान उत्पन्न हुआ, तब देवताओं ने मिल कर समवसरण की रचना की। वहाँ बहुत बड़ी पर्षदा जमा हुई। तब भगवान ने धर्मदेशना दी, पर प्रभु की देशना सुन कर कोई भी सम्यक्त्वी नहीं हुआ तथा व्रत-पच्चक्खाण भी किसी ने ग्रहण नहीं किये। इस तरह देशना निष्फल हुई। तीर्थंकर की देशना कभी खाली नहीं जाती, वह खाली गयी। इसलिए यह चौथा आश्चर्य जानना। ___पाँचवाँ अच्छेरा- जो एक द्वीप का वासुदेव होता है, वह दूसरे द्वीप में नहीं जाता। श्री कृष्णजी द्रौपदी को लाने के लिए धातकीखंड में गये। तथा कपिल वासुदेव का शंख और श्री कृष्ण वासुदेव का शंख ये दोनों शंख से शंख मिले, पर ये भी कभी मिलते नहीं हैं। इसलिए आश्चर्य जानना। उनकी कथा कहते हैं___कांपिल्यपुर नगर में द्रुपद राजा की पट्टरानी चुलनी की कोख से द्रौपदी नामक पुत्री हुई। उसके विवाह के लिए स्वयंवर मंडप लगाया गया। वहाँ सब देशों के राजाओं को बुलाया गया। हस्तिनागपुर से अपने युधिष्ठिरादि पाँच पुत्रों को ले कर पाँडु राजा भी वहाँ गया। अर्जुन ने राधावेध साधा। तब द्रौपदी ने अर्जुन के गले में वरमाला डाली। पूर्वभव में द्रौपदी ने पाँच भरतार का नियाणा किया था, उसके प्रभाव से वरमाला पाँचों पांडवों के गले में जा पड़ी। पूर्वभव में द्रौपदी का जीव नागिला नामक ब्राह्मणी था। नागिला ने एक दिन धर्मरुचि मुनि को कड़वी तुंबड़ी का साग वहोराया। वह मुनि ने अनशन कर के खा लिया। उसके योग से मुनि की मृत्यु हो गयी। फिर गाँव में प्रचार हो गया कि नागिला साधु का घात करनेवाली है। तब ब्राह्मण ने नागिला को घर से निकाल दिया। फिर भटकती भटकती अन्त में मृत्यु