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________________ पृष्ठ पृष्ठ विषय विषय 125. देवदत्ता के आगामी भवों के सम्बन्ध में धारण करना। * 811 गौतम स्वामी का भगवान् से पूछना। 745 | 137. श्रावक के बारह व्रतों का विवेचन। 818 126. भगवान् महावीर द्वारा मोक्षपर्यन्त देवदत्ता |138. चम्पानरेश कूणिक की प्रभुवीर दर्शनार्थ के आगामी भवों का वर्णन करना। 745 / कृत यात्रा का वर्णन। . 850 अथ दशम अध्याय | 139. श्री जमालिकुमार जी की वीरदर्शनयात्रा 127. दशम अध्याय की उत्थानिका। ___का वर्णन। 854 128. श्री गौतम स्वामी जी का एक अति 140. श्री गौतम स्वामी जी का भगवान् महावीर .. दुःखित स्त्री को देख कर उस के पूर्व- से श्री सुबाहुकुमार जी की विशाल भव के सम्बन्ध में भगवान् से पूछना। | मानवीय ऋद्धि के विषय में पूछना। 858 भगवान का पूर्वभव के विषय में 141. सुमुख गाथापति का संक्षिप्त परिचय तथा . . प्रतिपादन करना। 751 सुदत्त अनगार का सुमुख गाथापति के 129. इस जीव का पृथिवीश्री गणिका के भव। घर में पारणे के निमित्त प्रवेश करना। . .873 में व्यभिचारमूलक पाप कर्मों के कारण | 142. सुमुख गाथापति के द्वारा श्री सुदत्त मर कर नरक में जाना, वहां से निकल अनगार का आदर सत्कार करना और कर अञ्जूश्री के रूप में उत्पन्न होना विशुद्ध भावनापूर्वक मुनिश्री को आहार तथा उस का महाराज विजय के साथ देना। परिणामस्वरूप उस के घर में 5 विवाहित होना। 755 प्रकार के दिव्यों का प्रकट होना और 130. अजूश्री महारानी की योनि में शूल का मनुष्यायु.को बान्धना, मृत्यु के अनन्तर उत्पन्न होना, परिणामस्वरूप अधिका हस्तिशीर्षक नगर में अदीनशत्रु राजा की धिक वेदना का उपभोग करना। 762 | धारिणी रानी की कुक्षि में पुत्ररूप से 131. अजूश्री के आगामी भवों के सम्बन्ध में उत्पन्न होना, तथा बालक ने जन्म लेकर श्री गौतम स्वामी जी का भगवान् महावीर युवावस्था को प्राप्त कर सांसारिक सुखों स्वामी से पूछना। ___766 ___ का अनुभव करना। 884 132. भगवान् महावीर स्वामी का अञ्जूश्री के | 143. श्री गौतम स्वामी जी का भगवान महावीर आगामी भवों का मोक्षपर्यन्त वर्णन करना। 767 स्वामी से सुबाहुकुमार की अनगारवृत्ति द्वितीय श्रुतस्कन्धीय को धारण की समर्थता के विषय में पूछना। सुबाहुकुमार नामक प्रथम अध्ययन श्री सुबाहुकुमार जी का श्रमणोपासक 133. प्रथम अध्ययन की उत्थानिका। 783 होना तथा पौषधशाला में किसी समय 134. द्वितीय श्रुतस्कन्ध में वर्णित दश महापुरुषों तेला-पौषध करना। 901 का नामनिर्देश तथा प्रथम अध्ययन के | 144. श्री सुबाहुकुमार के मन में इस विचार प्रतिपाद्य विषय की पृच्छा। 785 का उत्पन्न होना कि जहां भगवान 135. श्री सुबाहुकुमार जी का संक्षिप्त परिचय। 793 महावीर विहरण करते हैं वे ग्राम, नगर 136. श्री सुबाहुकुमार जी का भगवान् महावीर आदि धन्य हैं, जो भगवान महावीर के. स्वामी के पास श्रावक के बारह व्रतों को पास अनगारवृत्ति अथवा श्रावकवृत्ति को 90 ] श्री विपाक सूत्रम् [विषयानुक्रमणिका
SR No.004496
Book TitleVipak Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni, Shivmuni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2004
Total Pages1034
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size21 MB
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