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________________ पृष्ठ विषय विषय के लिए मनौती मनाना। 593 और भगवान् का उस के अग्रिम भवों 102. धन्वन्तरि वैद्य के जीव का नरक से का मोक्ष पर्यन्त वर्णन करना। 664 निकल कर गंगादत्ता के गर्भ में पुत्ररूप अथ नवम अध्याय से आना और गंगादत्ता को दोहद का | 114. गौतमस्वामी जी का एक अत्यन्त दुःखी उत्पन्न होना। 597 स्त्री को देख कर भगवान महावीर स्वामी 103. गंगादत्ता के पुत्र का उत्पन्न होना और से उस के पूर्वभव के सम्बन्ध में पूछना। 671 उस का उम्बरदत्त नाम रखना, तथा उस 115. सिंहसेन राजकुमार का संक्षिप्त परिचय। 676 बालक के शरीर में 16 रोगों का उत्पन्न | 116. सिंहसेन राजा का श्यामादेवी रानी में होना। 603 आसक्त हो कर शेष रानियों का आदर न 104. गौतम स्वामी का भगवान् से उम्बरदत्त करना। 688 के आगामी भवों के सम्बन्ध में पूछना। 611 | 117. सिंहसेन राजा का शोकग्रस्त श्यामादेवी 105. भगवान् महावीर का उम्बरदत्त के आगामी . को आश्वासन देना, तथा अपने नगर में भवों का मोक्षपर्यन्त वर्णन करना। . 612 एक महती कूटाकारशाला का निर्माण / अथ अष्टम अध्याय / कराना। 695 106. शौरिकदत्त का संक्षिप्त परिचय। 620 | 118. सिंहसेन राजा का श्यामादेवी के अतिरिक्त 107. श्री गौतम स्वामी जी का एक दयनीय शेष रानियों की माताओं को आमंत्रित व्यक्ति को देख कर भगवान् से उस के करना और कूटाकारशाला में अवस्थित पूर्वभव के विषय में पूछना और भगवान उन माताओं को अग्नि के द्वारा जला का पूर्वभव विषयक प्रतिपादन करना। 622 | देना, अन्त में अपने दुष्कर्मों के परिणाम108. श्रीयक रसोइए का मांसाहारसम्बन्धी स्वरूप उस का नरक में उत्पन्न होना। 702 वर्णन करने के अनन्तर उस का नरक में | 119. सिंहसेन राजा के जीव का रोहितक नगर उत्पन्न होने का निरूपण करना। 627 / ' में दत्त सार्थवाह की कृष्णश्री भार्या के 109. मदिरापान के कुपरिणामों का निरूपण। 638 | यहां पुत्रीरूप से उत्पन्न होना। 708 110. नरक से निकल कर श्रीयक का समुद्रदत्ता |120. देवदत्ता का पुष्यनन्दी के लिए भार्यारूप के यहां उत्पन्न होना और उस का से मांगा जाना। 714 शौरिकदत्त नाम रखा जाना। 647 | 121. पुष्यनंदी राजकुमार का देवदत्ता के साथ 111. शौरिकदत्त का मच्छीमारों का मुखिया विवाहित होना। 721 बन कर मच्छी मारने के धन्धे में प्रगति- | 122. पुष्यनन्दी राजा का अपनी माता श्रीदेवी शील होना। 652 की अत्यधिक सेवाशुश्रूषा करना। 728 112. शौरिकदत्त के गले में एक मत्स्यकण्टक | 123. महारानी देवदत्ता द्वारा अपनी सास श्रीदेवी का लग जाना, परिणामस्वरूप उस का ___ का क्रूरतापूर्ण वध किया जाना। 732 अत्यन्त पीड़ित होना। 657 | 124. पुष्यनंदी राजा द्वारा महारानी देवदत्ता का 113. शौरिकदत्त के आगामी भवों के सम्बन्ध मातृहत्या की प्रतिक्रिया के रूप में वध में गौतम स्वामी का भगवान् से पूछना करवाना। विषयानुक्रमणिका] श्री विपाक सूत्रम्
SR No.004496
Book TitleVipak Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni, Shivmuni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2004
Total Pages1034
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size21 MB
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