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________________ पृष्ठ .: 547 विषय विषय पृष्ठ 84. बृहस्पतिदत्त को रानी पद्मावती के साथ नाम से विख्यात होना।नन्दिषेण राजकुमार कामक्रीड़ा करते हुए देख कर उदयन का श्रीदाम राजा की घात करने के लिए राजा का उस के वध के लिए आज्ञा देना अवसर की प्रतीक्षा में रहना। 536 तथा राजाज्ञा द्वारा उसं का वध किया | 92. नन्दिषेण का श्रीदाम राजा की हत्या के जाना। 497 लिए चित्र नामक नापित के साथ मिल 85. गौतम स्वामी का बृहस्पतिदत्त पुरोहित कर षड्यन्त्र करना। नापित का इस उक्त के आगामी भवों के विषय में भगवान् रहस्य को राजा के प्रति प्रकट करना। . महावीर से पूछना। भगवान् द्वारा अन्त में राजकुमार का राजाज्ञा द्वारा वध बृहस्पतिदत्त के आगामी भवों का किया जाना। 540 मोक्षपर्यन्त निरूपण करना। 504 | 93. श्री गौतम स्वामी का राजकुमार नन्दिषेण अथ षष्ठ अध्याय के आगामी भवों के सम्बन्ध में भगवान् 86. छठे अध्ययन की उत्थानिका। 511 | महावीर से पूछना। 87. मथुरा नगरी के श्रीदाम नामक राजा और 94. भगवान् महावीर स्वामी का नन्दिषेण के उस की बन्धुश्री भार्या, नन्दीवर्धन नामक __ आगामी भवों के सम्बन्ध में मोक्षपर्यन्त राजकुमार और राजा के चित्र नामक वर्णन करना। नापित का संक्षिप्त परिचय। 511 अथ सप्तम अध्याय 88. श्री गौतम स्वामी जी का मथुरा नगरी के |95. सप्तम अध्याय की उत्थानिका। 553 राजमार्ग के चत्वर में एक पुरुष को 96. उम्बरदल का संक्षिप्त परिचय। 554 देखना और उस के पूर्वभव के विषय में | 97. गौतम स्वामी का एक दीन-हीन और भगवान से पूछना, जिस को अग्नितुल्य | रुग्ण व्यक्ति को देखना। लोहमय सिंहासन पर बिठाकर ताम्रपूर्ण, 98. गौतम स्वामी जी का दूसरी बार पुनः त्रपुपूर्ण तथा कलकल करते हुए गरम / उसी रोगी व्यक्ति को देखना। अन्त में गरम जल से परिपूर्ण लोहकलशों के | भगवान से उस के पूर्वभव के विषय में द्वारा राज्याभिषेक कराया जा रहा था। 513 | पूछना। फलतः भगवान का कहना। 564 89. पूर्वभव का विवेचन करते हुए भगवान |99. इस जीव का धन्वन्तरि वैद्य के भव में का दुर्योधन नामक चारकपाल-जेलर का स्वयं मांसाहार करना तथा दूसरों को तथा उस के कारागृह की सामग्री का / | मांसाहार का उपदेश देना। अन्त में नरक वर्णन करना। 518 में उत्पन्न होना। . 569 90. दुर्योधन चारकपाल द्वारा अपराधियों को 100. सागरदत्त सेठ की गंगादत्ता नामक भार्या दी जाने वाली क्रूरतापूर्ण यन्त्रणाओं का का किसी जीवित रहने वाले बालक वर्णन। 526 / अथवा बालिका को प्राप्त करने की 91. दुर्योधन चारकपाल का मर कर नरक में . कामना करना। 581 जाना तथा वहां से निकल कर श्रीदाम 101. सागरदत्त सेठ की भार्या गंगादत्ता का. राजा के घर उत्पन्न हो कर नन्दिषेण के उम्बरदत्त नामक यक्ष की सन्तानप्राप्ति 88] श्री विपाक सूत्रम् [विषयानुक्रमणिका
SR No.004496
Book TitleVipak Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni, Shivmuni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2004
Total Pages1034
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size21 MB
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