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________________ प्रष्ठ 465 470 विषय विषय का मनाया जाना और उस में सम्मिलित शकटकुमार नाम रखा जाना / माता पिता होने के लिए चोरसेनापति अभग्नसेन का मृत्यु को प्राप्त होना। शकटकुमार को आमन्त्रित करना। 411 को घर से निकाल देना, उस का सुदर्शना 67. आमंत्रित अभग्नसेन का अपने सम्बन्धियों वेश्या के साथ रमण करना। सुषेण मंत्री और साथियों समेत पुरिमताल नगर में द्वारा शकटकुमार को वहां से निकाल आना और राजा द्वारा उस का सम्मानित कर सुदर्शना को अपने घर में रख लेना। 454 किया जाना, तथा उस का कूटाकारशाला | 75. सुषेण मंत्री का शकटकुमार को सुदर्शना. में ठहराया जाना। 418/ वेश्या के साथ कामभोग करते हुए देख 68. राजा द्वारा नगर के द्वार बन्द करा देना कर क्रुद्ध होना। अपने पुरुषों द्वारा दोनों और अभग्नसेन को जीते जी पकड लेना को पकड़वाना और राजा द्वारा इन के तथा राजा की आज्ञा द्वारा उस का वध वध की आज्ञा दिलवाना। किया जाना। 422] 76. अनगार गौतम स्वामी का शकटकमार 69. चोर सेनापति के आगामी भवों के सम्बन्ध के आगामी भवों के सम्बन्ध में प्रश्न में अनगार गौतम का भगवान से पूछना / करना। और भगवान का उत्तर देना। 428/77. भगवान् महावीर का शकटकुमार के अथ चतुर्थ अध्याय आगामी भवों का मोक्षपर्यन्त वर्णन करना। 471 70. चतुर्थ अध्याय की उत्थानिका। . 438/78. मांसाहार का निषेध / 71. साहञ्जनी नामक नगरी की सुदर्शना नामक / अथ पञ्चम अध्याय वेश्या तथा सुभद्र सार्थवाह के पुत्र शकट- 79. नगरी, राजा, बृहस्पतिदत्त तथा इस के कुमार का संक्षिप्त परिचय। 438 परिवार का संक्षिप्त परिचय। 485 72. जनसमूह के मध्य में अवकोटक बन्धन 80. गौतम स्वमी का राजमार्ग में एक वध्य से युक्त स्त्रीसहित एक वध्य पुरुष को * पुरुष को देखना और उस के पूर्वभव के देख कर उस के पूर्व भव के विषय में विषय में भगवान् महावीर से पूछना। 487 अनगार गौतम स्वामी का श्री भगवान् 81. पूर्वभव को बताते हुए भगवान का महावीर से प्रश्न करना। 444 सर्वतोभद्र नगर में जितशत्रु राजा के 73. भगवान् का यह फरमाना कि वध्य व्यक्ति महेश्वरदत्त पुरोहित द्वारा किए जाने वाले पूर्व भव में छणिक नामक छागलिक क्रूरहिंसक यज्ञ का वर्णन करना। 489 (कसाई) था। वह मांस द्वारा अपनी 82. क्रूरकर्म के द्वारा महेश्वरदत्त पुरोहित का आजीविका किया करता था तथा स्वयं __पंचम नरक में उत्पन्न होना। 496 भी मांसाहारी था। फलतः उसका नरक 83. नरक से निकल कर कौशाम्बी नगरी में में उत्पन्न होना। 448 सोमदत्त पुरोहित की वसुदत्ता नामक भार्या 74. नरक से निकल कर छण्णिक छागलिक की कुक्षि में महेश्वरदत्त पुरोहित के जीव के जीव का साहञ्जनी नगरी में सुभद्र का उत्पन्न होना। जन्म होने पर उस का सार्थवाह के घर में उत्पन्न होना / उस का बृहस्पतिदत्त यह नामकरण किया जाना। 497 479 विषयानुक्रमणिका] श्री विपाक सूत्रम् [87
SR No.004496
Book TitleVipak Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni, Shivmuni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2004
Total Pages1034
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size21 MB
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