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________________ करना। विषय पृष्ठ | विषय पृष्ठ मृगादेवी के शरीर में उग्र वेदना का होना / हुए उज्झितककुमार को देखना। 247 और उस का अपने पतिदेव को अप्रिय 36. उज्झितककुमार की दयनीय अवस्था से लगना। 187 प्रभावित हुए अनगार गौतम का भगवान 21. मृगादेवी का गर्भ को अनिष्ट समझ कर महावीर स्वामी से उस के पूर्वभव के उसे गिराने के लिए अनेकविध प्रयत्न सम्बन्ध में प्रश्न करना। 258 188 | 37. हस्तिनापुर नगर के गोमण्डप का वर्णन। 264 22. गर्भस्थ जीव के शरीर में अग्निक- | 38. भीम नामक कूटग्राह की उत्पला नामक भस्मक व्याधि का उत्पन्न होना। 191] भार्या को दोहद उत्पन्न होना। 268 23. मृगादेवी के एक जन्मान्ध और आकृति- 39. दोहद का स्वरूप और उसकी पूर्ति के मात्र बालक का उत्पन्न होना और उस | लिए उसे पति का आश्वासन देना। 269 को कूड़े कचरे के ढेर पर फैंकने के 40. भीम कूटग्राह के द्वारा अपनी भार्या के लिए दासी को आदेश देना। . 195/ दोहद की पूर्ति करना। 24. रानी की आज्ञा के विषय में दासी का 41. उत्पला के यहां बालक का जन्म और राजा से पूछना, 'अन्त में बालक का उस का गोत्रास नाम रखना, तथा भीम , भूमिगृह में पालन-पोषण किया जाना। 198| कूटग्राह का मृत्यु को प्राप्त होना। 279 25. गौतम स्वामी का मृगापुत्र के अगले भवों 42. सुनन्द राजा का गोत्रास को कूटग्राहित्व ____ के सम्बन्ध में भगवान् महावीर से पूछना। 202 पद पर स्थापित करना और गोमांस आदि 26. भगवान का मृगापुत्र के मोक्षपर्यन्त अगले / के भक्षण द्वारा गोत्रास का मर कर नरक सभी भवों का प्रतिपादन करना। 202| में उत्पन्न होना। 284 27. जातिकुलकोटि शब्द की व्याख्या। 212 | 43. गोत्रास के जीव का विजयमित्र नामक 28. प्रतिक्रमण शब्द पर विचार। सार्थवाह की सुभद्रा भार्या के यहां 29. समाधि शब्द का पर्यालोचन। 216 / बालकरूप से उत्पन्न होना और उस 30. श्री दृढ़प्रतिज्ञ का संक्षिप्त परिचय। 217 | का "उज्झितक कुमार" ऐसा नाम रखा अथ द्वितीय अध्याय जाना। 288 31. द्वितीय अध्याय की उत्थानिका के साथ 44. विजयमित्र सार्थवाह का अपने जहाज - साथ वाणिजग्राम नामक नगर में अवस्थित समेत समुद्र में डूबना और पतिवियोग से कामध्वजा वेश्या का वर्णन। 221 / दुःखित सुभद्रा सार्थवाही का भी मृत्यु 32. 72 कलाओं का विवेचन। 227 / को प्राप्त होना। 294 33. उज्झितककुमार का पारिवारिक परिचय। 242 / 45. उज्झितककुमार का घर से निकाल दिया 34. भगवान् महावीर स्वामी का वाणिजग्राम / जाना और उसका स्वच्छन्द हो कर ___ नगर में पधारना और गौतम स्वामी जी भ्रमण करने के साथ-साथ कामध्वजा का पारणे के लिए नगर में जाना। 244 वेश्या के सहवास में रहना। 35. भगवान् गौतम का वाणिजग्राम नगर के 46. महाराज विजयमित्र की महारानी श्रीदेवी ... राजमार्ग में वध के लिए ले जाए जाते | को योनिशूल का होना तथा उज्झितक 300 विषयानुक्रमणिका] श्री विपाक सूत्रम् [85
SR No.004496
Book TitleVipak Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni, Shivmuni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2004
Total Pages1034
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size21 MB
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