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________________ श्रीविपाकसूत्रम् * विषयानुक्रमणिका 14 104 विषय पृष्ठ| पृष्ठ विषय प्रथम श्रुतस्कन्धीय प्रथम अध्याय स्वामी जी का उस को देखने के लिए चम्पानगरी के पूर्णभद्र नामक उद्यान में जाना। 133 आर्य सुधर्मा स्वामी जी का पधारना, तथा | 12. मृगादेवी द्वारा भूमिगृह में अवस्थित मृगापुत्र आर्य जम्बू स्वामी जी का उन के चरणों का श्री गौतम स्वामी जी को दिखाना में कुछ निवेदन करने के लिए उपस्थित | 13. मुखवस्त्रिकासम्बन्धी विचार . होना। 95 / 14. मृगापुत्र की भोजनकालीन दुःस्थिति को 146 2. काल और समय शब्द का अर्थभेद 100 देख कर श्री गौतम स्वामी जी के हृदय 3. चौदह पूर्वो के नाम और उन का प्रतिपाद्य में तत्कृत दुष्कर्मों के विषय में विचार विषय 102 उत्पन्न होना। 4. पांच ज्ञानों के नाम और उन का संक्षिप्त 15. श्री गौतम स्वमी जी का मृगापुत्र के अर्थ। पूर्वभव के विषय में भगवान् महावीर से : 5. जासड्ढे जायसंसए आदि पदों का पूछना। . 156 विस्तृत विवेचन .. 107 | 16. भगवान द्वारा पूर्वभव वर्णन करते हुए 6. दु:खविपाक के दश अध्ययनों का एकादि राष्ट्रकूट (मृगापुत्र का जीव) की नामनिर्देश। अनैतिकता और अन्यायपूर्ण शासकता का 7. मृगापुत्र और उज्झितककुमार आदि का | प्रतिपादन करना। 157 सामान्य परिचय। 118 | 17. एकादि राष्ट्रकूट के शरीर में उत्पन्न 16 8. मृगापुत्र की रोमांचकारी शारीरिक दशा | महारोगों का वर्णन। का वर्णन। 120 18.. एकादि राष्ट्रकूट द्वारा अपने रोगों की 9. मृगापुत्र नामक नगर के राजमार्ग में एक / चिकित्सा के लिए नगर में उद्घोषणा दयनीय अन्ध व्यक्ति का लोगों से वहां कराना और रोगों की शान्ति के लिए हो रहे कोलाहल का कारण पूछना। 124 | किए गए वैद्यों के प्रयत्नों का निष्फल 10. अन्धव्यक्ति को देख कर भगवान् गौतम रहना। 172 का तत्सदृश किसी अन्य जन्मान्ध व्यक्ति 19. एकादि राष्ट्रकूट का मृत्यु को प्राप्त हो के सम्बन्ध में भगवान् महावीर से प्रश्न , कर मृगाग्राम नगर में मृगादेवी की कुक्षि करना। 124] में उत्पन्न होना। . 184 11. मृगापुत्र का शारीरिक वर्णन और श्री गौतम | 20. एकादि राष्ट्रकूट के गर्भ में आने पर : 84 श्री विपाक सूत्रम् [ विषयानुक्रमणिका
SR No.004496
Book TitleVipak Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni, Shivmuni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2004
Total Pages1034
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size21 MB
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