________________ आदक्षिण प्रदक्षिणा करता है, कर के। वंदइ-वन्दना करता है। नमसइ-नमस्कार करता है। वंदित्ता नमंसित्ता-वंदना तथा नमस्कार कर के। जेणेव-जहां। भत्तघरे-भक्तगृह था। तेणेव-वहां पर। उवागच्छइ उवागच्छित्ता-आता है, आकर। सयहत्थेणं-अपने हाथ से। विउलेणं-विपुल। असणं पाणं ४-अशन, पान आदि चतुर्विध आहार का। पडिलाभेस्सामि त्ति-दान दूंगा अथवा दान का लाभ प्राप्त करूंगा, इस विचार से। तुढे ३-प्रसन्नचित्त हुआ अर्थात् अत्यन्त प्रसन्नता को प्राप्त होता हुआ। तए णं-तदनन्तर। तस्स-उस। सुमुहस्स-सुमुख। गाहावइस्स-गाथापति के। तेणं-उस। दव्वसुद्धेणं-शुद्ध द्रव्य से, तथा। तिविहेणं-त्रिविध / तिकरणसुद्धेणं-त्रिकरणशुद्धि से। सुदत्ते-सुदत्त / अणगारे-अनगार के। पडिलाभिए समाणे-प्रतिलाभित होने पर अर्थात् सुदत्त अनगार को विशुद्ध भावना द्वारा शुद्ध आहार के दान से अत्यन्त प्रसन्नता को प्राप्त हुए सुमुख गाथापति ने। संसारे-संसार को-जन्म मरण की परम्परा को। परित्तीकएबहुत कम कर दिया, और। मणुस्साउए-मनुष्य आयु का-उत्तम मानव भाव का। निबद्धे-बन्ध किया अर्थात् मनुष्य जन्म देने वाले पुण्यकर्मदलिकों को बांधा। य-और। से-उस के। गिहंसि-घर में। इमाईये। पंच-पांच। दिव्वाइं-दिव्य-देवकृत। पाउब्भूयाई-प्रकट हुए। तंजहा-जैसे कि। १-वसुहारावसु-सुवर्ण की धारा की। वुट्ठा-वृष्टि हुई।२-दसद्धवण्णे-पांच वर्षों के। कुसुमे-पुष्पों को निवाइएगिराया गया। ३-चेलुक्खेवे-वस्त्रों का उत्क्षेप। कए-किया गया। ४-देवदुंदुभीओ-देवदुन्दुभियां। आहयाओ-बजाई गईं।५-आगासंसि अंतरा वि य णं-और आकाश के मध्य में। अहोदाणं अहोदाणं च-अहोदान अहोदान, ऐसी। घुटुं-उद्घोषणा हुई। हत्थिणाउरे-हस्तिनापुर में। सिंघाडग-त्रिपथ / जावयावत्। पहेसु-सामान्य रास्तों में। बहुजणो-बहुत से लोग। अन्नमन्नस्स-एक-दूसरे को। एवं-इस प्रकार। आइक्खइ ४-कहते हैं, 4 / धन्ने णं-धन्य है। देवाणुप्पिया !-हे महानुभावो ! सुमुहे-सुमुख। गाहावई-गाथापति। जाव-यावत्। तं-वह। धन्ने ५-धन्य है, 5 / से-वहं। सुमुहे-सुमुख। गाहावईगाथापति। बहूई-बहुत। वाससयाई-सैंकड़ों वर्षों की। आउयं-आयु का। पालेइ पालित्ता-उपभोग करता है, उपभोग कर के।कालमासे-कालमास में। कालं किच्चा-काल कर के।इहेव-इसी। हत्थिसीसएहस्तिशीर्षक / णगरे-नगर में। अदीणसत्तुस्स-अदीनशत्रु / रण्णो-राजा की। धारिणीए-धारिणी। देवीएदेवी की। कुच्छिंसि-कुक्षि में-उदर में। पुत्तत्ताए-पुत्ररूप से। उववन्ने-उत्पन्न हुआ-पुत्ररूप से गर्भ में आया। तए णं-तदनन्तर। सा-वह। धारिणी-धारिणी। देवी-देवी। सयणिज्जंसि-अपनी शय्या पर। सुत्तजागरा-कुछ सोई तथा कुछ जागती हुई, अर्थात् / ओहीरमाणी २-ईषत् निद्रा लेती हुई। तहेव-तथैवउसी तरह। सीहं-सिंह को। पासइ-देखती है। सेसं-बाकी सब। तं-चेव-उसी भांति जानना। जावयावत्। उप्पिं पासाए-ऊपर प्रासादों में। विहरइ-भोगों का उपभोग करता है। तं-अतः। एवं खलु-इस प्रकार निश्चय ही। गोयमा !-हे गौतम ! सुबाहुणा-सुबाहुकुमार ने। इमा-यह। एयारूवा-इस प्रकार की। मणुस्सरिद्धी-मानवी समृद्धि / लद्धा ३-उपलब्ध की है। मूलार्थ-तदनन्तर सुमुख गाथापति आते हुए सुदत्त अनगार को देखता है, देख 1. परीतीकृतः। परि समन्तात् इतः-गतः इतिः परीतः। अपरीतः परीतः कृत इति परीतीकृतः, पराङ्मुखीकृतः प्रतिनिवर्तित इत्यर्थः / अल्पीकृत इति यावत्। 886 ] श्री विपाक सूत्रम् / प्रथम अध्याय [द्वितीय श्रुतस्कन्ध