________________ नगर का। शेष वर्णन समान ही है। ___-उक्खित्तकण्णनासं जाव सूले-यहां पठित जाव-यावत् पद द्वितीय अध्याय में लिखे गए -नेहत्तुप्पियगत्तं वज्झकरकडिजुयनियत्थं-इत्यादि पदों का परिचायक है। अन्तर मात्र इतना है कि वहां एक पुरुष का वर्णन है जब कि प्रस्तुत में एक स्त्री का। अर्थगत कोई भेद नहीं है। तथा-अज्झथिए ५-यहां के अंक से अपेक्षित पद भी द्वितीय अध्याय में लिखे जा चुके हैं। -तहेव णिग्गते जाव एवं वयासी-यहां पठित-तहेव-तथा-जाव-यावत्-पद तृतीय अध्याय में पढ़े गए -अहो णं इमे पुरिसे पुरा पुराणाणं-से लेकर-महावीरं वन्दति नमंसति २-इन पदों का तथा -तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे-से लेकर-वेएणं वेएतियहां तक के पदों का परिचायक है। अन्तर मात्र इतना है कि वहां पुरिमताल नगर और उसके राजमार्ग पर भगवान् गौतम ने एक वध्य पुरुष के दयनीय दृश्य को देखा था, और वह दृश्य' भगवान् को सुनाया था, जब कि प्रस्तुत में रोहीतक नगर है और उसके राजमार्ग पर एक स्त्री के दयनीय दृश्य को उन्होंने देखा और वह दृश्य भगवान् को सुनाया। अर्थात् दृश्यवर्णक पाठ भिन्न होने के अतिरिक्त शेष वर्णन समान ही है। ___अब सूत्रकार भगवान् महावीर स्वामी द्वारा दिये गए उत्तर का वर्णन करते हुए कहते मूल-एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जम्बुद्दीवे दीवे भारहे वासे सुपतिढे णामं नगरे होत्था, रिद्धः।महासेणे राया, तस्सणं महासेणस्स धारिणीपामुक्खं देवीसहस्सं ओरोहे यावि होत्था। तस्स णं महासेणस्स पुत्ते धारिणीए देवीए अत्तए सीहसेणे णामं कुमारे होत्था, अहीण जुवराया। तते णं तस्स सीहसेणस्स कुमारस्स अम्मापितरो अन्नया कयाइ पंचपासायवडिंसगसयाई कारेंति, अब्भुगतः। तते णं तस्स सीहसेणस्स कुमारस्स अन्नया कयाइ सामापामोक्खाणं पंचण्हं रायवरकन्नगसयाणं एगदिवसेणं पाणिं गेण्हावेंसु। पंचसयओ दाओ।तते णं से सीहसेणे कुमारे सामापामोक्खेहिं पंचहिं देवीसतेहिं सद्धि उप्पिं जाव विहरति।तते णं से महासेणे राया अन्नया कयाइ कालधम्मुणा संजुत्ते, नीहरणं०। राया जाते महया०। छाया-एवं खलु गौतमा ! तस्मिन् काले तस्मिन् समये इहैव जम्बूद्वीपे द्वीये 676 ] श्री विपाक सूत्रम् / नवम अध्याय [प्रथम श्रुतस्कंध