________________ राजा। श्रीदेवी। पुष्यनन्दी कुमारो युवराजः। तत्र रोहीतके नगरे दत्तो नाम गाथापतिः परिवसति आढयः / कृष्णश्री भार्या / तस्य दत्तस्य दुहिता कृष्णश्रियः आत्मजा देवदत्ता नाम दारिका अभूदहीन यावदुत्कृष्टशरीरा / तस्मिन् काले तस्मिन् समये स्वामी समवसृतो, यावद् गतः। तस्मिन् काले तस्मिन् समये ज्येष्ठोऽन्तेवासी षष्ठक्षमणपारणके तथैव यावद् राजमार्गमवगाढो हस्तिनः, अश्वान्, पुरुषान्, पश्यति / तेषां पुरुषाणां मध्यगतां पश्यत्येकां स्त्रियमवकोटकबन्धनामुत्कृत्तकर्णनासां यावच्छूले भिद्यमानां पश्यति दृष्ट्वा अयमाध्यात्मिकः 5 समुत्पन्नस्तथैव निर्गतो यावदेवमवादीत्-एषा भदन्त ! स्त्री पूर्वभवे का आसीत् ? / पदार्थ-णवमस्स-नवम अध्ययन का। उक्लेवो-उत्क्षेप-प्रस्तावना की कल्पना पूर्व की भान्ति कर लेनी चाहिए। एवं खलु-इस प्रकार निश्चय ही। जंबू !-हे जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं-उस काल और उस समय में। रोहीडए-रोहीतक। नाम-नाम का। णगरे-नगर। होत्था-था। रिद्धः-ऋद्धभवनादि के आधिक्य से युक्त, स्तिमित-स्वचक्र और परचक्र के उपद्रवों से रहित, एवं समृद्ध-धन धान्यादि से परिपूर्ण था। पुढवीवडंसए-पृथिव्यवतंसक नामक। उजाणं-उद्यान-बाग था। धरणे-धरण नामक / जक्खे-यक्ष, अर्थात् वहां यक्ष का स्थान था। वेसमणदत्ते-वैश्रमणदत्त नाम का। राया-राजा था। . सिरी देवी-श्रीदेवी नाम की रानी थी। पूसणंदी-पुष्यनन्दी। कुमारे-कुमार। जुवरांया-युवराज था। तत्थ णं-उस। रोहीडए-रोहीतक।णगरे-नगर में। दत्ते-दत्त / नाम-नाम का। गाहावती-एक गाथापति-गृहस्थ। परिवसति-रहता था, जो कि। अड्ढे०-धनी यावत् अपने नगर में विशेष प्रतिष्ठा प्राप्त किए हुए था। कण्हसिरी-उसकी कृष्णश्री। भारिया-भार्या-स्त्री थी। तस्स णं-उस। दत्तस्स-दत्त की। धूया-दुहितापुत्री। कण्हसिरीए-कृष्ण श्री की। अत्तया-आत्मजा। देवदत्ता-देवदत्ता / नाम-नाम की। दारिया-दारिकाबालिका। होत्था-थी, जोकि। अहीण-अन्यून एवं निर्दोष पांच इन्द्रियों से युक्त शरीर वाली। जावयावत्। उक्किट्ठसरीरा-उत्कृष्ट-उत्तम शरीर वाली थी। तेणं कालेणं तेणं समएणं-उस काल और उस समय में। सामी-भगवान् महावीर स्वामी। समोसढे-पधारे। जाव-यावत्, सब। गओ-चले गए। तेणं कालेणं तेणंसमएणं-उस काल और उस समय। जेटे-प्रधान / अन्तेवासी-शिष्य। छदक्खमणपारणगंसिषष्ठतप-बेले के पारणे के लिए। तहेव-तथैव पूर्ववत्-पहले की भान्ति। जाव-यावत्। रायमग्गं-राजमार्ग में। ओगाढे-पधारे, वहां। हत्थी-हाथियों को। आसे-घोड़ों को। पुरिसे-पुरुषों को। पासति-देखते हैं। तेसिं-उन / पुरिसाणं-पुरुषों के। मझगयं-मध्यगत। एग-एक। इत्थियं-स्त्री को, जोकि।अवओडगबंधणंअवकोटक बन्धन से बन्धी हुई है, तथा। उक्खित्तकण्णनासं-जिस के कान और नाक दोनों ही कटे हुए हैं। जाव-यावत् / सूले-सूली पर / भिज्जमाणं-भिद्यमान हो रही है। पासति पासित्ता-देखते हैं, देख कर। इमे-यह। अज्झथिए ५-आध्यात्मिक-संकल्प 5 / समुप्पन्ने-उत्पन्न हुआ। तहेव-तथैव-उसी भान्ति। णिग्गते-नगर से निकले। जाव-यावत् / एवं वयासी-इस प्रकार बोले। भंते !-हे भदन्त ! एसा णं-यह। इत्थिया-स्त्री। पुव्वभवे-पूर्व भव में। का आसि?-कौन थी? 672 ] श्री विपाक सूत्रम् / नवम अध्याय [प्रथम श्रुतस्कंध