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________________ से सर्वथा भिन्न प्रकार की होती है। उदाहरण के लिए जैसे गौ, घोड़ा, बन्दर आदि पशु . मांसाहारी नहीं हैं और शेर, चीता आदि पशु मांसाहारी हैं। जो शारीरिक अवयव गौ आदि पशुओं के होते हैं, शेर आदि के वैसे अवयव नहीं होते। मनुष्य के शरीर की रचना भी मांसाहारी पशुओं की शरीररचना से सर्वथा भिन्न पाई जाती है। अतः मांसाहार मानव का प्राकृतिक भोजन नहीं है। (2) मांसाहारी पशुओं की आंखें वर्तुलाकार-गोल होती हैं, जबकि मनुष्य की ऐसी / नेत्र रचना नहीं पाई जाती। (3) मांसाहारी पशु कच्चा मांस खाकर उसे पचाने में समर्थ होता है, जब कि मनुष्य . की ऐसी स्थिति नहीं होती। (4) मांसाहारी पशुओं के दान्त लम्बे और गाजर के आकार के तीक्ष्ण (पैने) होते हैं, और एक दूसरे से दूर-दूर तथा पृथक्-पृथक् होते हैं, परन्तु फलाहारी पशुओं के दान्त छोटेछोटे तथा चौड़े-चौड़े और परस्पर मिले हुए होते हैं। मनुष्य के दान्तों का निर्माण फलाहारी पशुओं के समान पाया जाता है। (5) मांसाहारी पशुओं के नवजात बच्चों की आंखें बन्द होती हैं, जब कि मनुष्य के बच्चों की ऐसी स्थिति नहीं होती। (6) मांसाहारी पशु जिह्वा से चाट कर पानी पीते हैं जब कि मनुष्य गाय, बकरी आदि पशुओं के समान घूण्ट भर-भर कर पानी पीता है। (7) मांसाहारी पशुओं तथा पक्षियों का चमड़ा कठोर होता है और उस पर घने बाल होते हैं, जब कि मनुष्य के शरीर में ऐसी बात नहीं होती है। (8) मांसाहारी पशुओं के शरीर से पसीना नहीं आता, जब कि मनुष्य के शरीर से पसीना निकलता है। (9) मांसाहारी पशुओं के मुख में थूक नहीं रहता, जब कि अन्नाहारी और फलाहारी मनुष्य तथा गौ आदि पशुओं के मुख से थूक निकलता है। (10) मांसाहारी पशु गरमी से हांपने पर जिह्वा बाहर निकाल लेता है जब कि मनुष्य ऐसा नहीं करता। (11) मांसाहारी पशु रात्रि के समय दूसरे प्राणियों का शिकार करते हैं और दिन को सोते हैं। जब कि मनुष्य की ऐसी स्थिति नहीं होती, वह रात्रि में सोता है। (12) मांसाहारी जीवों को गरमी बहुत लगती है और सांस शीघ्रता से आने लगता है परन्तु अन्नाहारी एवं फलाहारी जीवों को न तो इतनी गरमी लगती है और न ही सांस तीव्रता 576 ] श्री विपाक सूत्रम् / सप्तम अध्याय [प्रथम श्रुतस्कंध
SR No.004496
Book TitleVipak Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni, Shivmuni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2004
Total Pages1034
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size21 MB
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