________________ इतना है कि वहां वाणिजग्राम नगर का उल्लेख है जब कि यहां मथुरा नगरी का। शेष वर्णन समान ही है। वागरेति-का भावार्थ वृत्तिकार के शब्दों में "-कोऽसौ जन्मान्तरे आसीत् ? इत्येवं गौतमः पृच्छति, भगवांस्तु व्याकरोति-कथयति-" इस प्रकार है। अर्थात् श्री गौतम स्वामी ने भगवान से पूछा कि भगवन् ! वह पुरुष पूर्वजन्म में कौन था, इस के उत्तर में भगवान् उस के पूर्वजन्म का वर्णन करते हैं। अब सूत्रकार भगवान् महावीर स्वामी द्वारा बताए गए उस पुरुष के पूर्वजन्मसम्बन्धी वृत्तान्त का वर्णन करते हैं मूल-एवं खलु गोतमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जम्बूद्दीवे दीवे भारहे वासे सीहपुरे णामं णग़रे होत्था, रिद्धः। तत्थ णं सीहपुरे णगरे सीहरहे णामं राया होत्था। तस्स णं सीहरहस्स रण्णो दुजोहणे णामं चारगपाले होत्था, अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे।तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालस्स इमे एयारूवे चारगभंडे होत्था। तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालस्स बहवे अयकुंडीओ अप्पेगतियाओ तंबभरियाओ, अप्पेगतियाओ तउयभरियाओ, अप्पेगतियाओ सीसगभरियाओ, अप्पेगतियाओ कलकलभरियाओ, अप्लेगतियाओ खारतेल्लभरियाओ, अगणिकायंसि अद्दहियाओ चिट्ठन्ति। तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालस्स बहवे उट्टियाओ आसमुत्तभरियाओ, अप्पेगतियाओ हत्थिमुत्तभरियाओ, अप्पेगतियाओ उट्टमुत्तभरियाओ, अप्पेगतियाओ गोमुत्तभरियाओ, अप्पेगतियाओ महिसमुत्तभरियाओ, अप्पेगतियाओ अयमुत्तभरियाओ, अप्पेगतियाओ एलमुत्तभरियाओ, बहुपडिपुण्णाओ चिट्ठन्ति। तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालस्स बहवे हत्थंदुयाण य पायंदुयाण यहडीण य नियलाण य संकलाण य पुंजा निगरा य सण्णिक्खित्ता चिट्ठन्ति। तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालस्स बहवे वेणुलयाण य वेत्तलयाण य चिंचालयाण य छिवाण य कसाण य वायरासीण य पुंजा णिगरा य चिट्ठन्ति। तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे सिलाण य लउडाण य मुग्गराण य कणंगराण य पुंजा णिगरा यचिट्ठन्ति।तस्सणंदुजोहणस्स चारगपालस्स बहवे तंतीण य वरत्ताण य वागरजूण य बालरज्जूण य सुत्तरज्जूण य पुंजा णिगरा य चिट्ठन्ति। तस्स णं 518 ] श्री विपाक सूत्रम् / षष्ठ अध्याय [ प्रथम श्रुतस्कंध