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________________ गौतम स्वामी भी पुनः भगवान् से पूछ रहे हैं। उन का मन शकट कुमार के जीवन को अथ से इति पर्यन्त समझने की लालसा में व्यस्त है, वह उसके आगामी जीवन से भी अवगत होना चाहता है। यही रहस्य गौतम स्वामी के प्रश्न में छिपा हुआ है। गौतम स्वामी के इस प्रश्न के उत्तर में भगवान् ने जो कुछ फरमाया तथा शकट कुमार की भवपरम्परा का अन्त में क्या परिणाम निकला, इत्यादि विषय का अग्रिम सूत्र में वर्णन किया जाता है मूल-गोतमा ! सगडे णं दारए सत्तावण्णं वासाई परमाउँ पालइत्ता अज्जेव तिभागावसेसे दिवसे एगं महं अयोमयं तत्तं समजोइभूयं इत्थिपडिमं अवयासाविए समाणे कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए णेरइयत्ताए उववजिहिति। से णं ततो अणंतरं उव्वट्टित्ता रायगिहे णगरे मातंगकुलंसिं जमलत्ताए पच्चायाहिति, तते णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो णिव्वत्तबारसाहगस्स इमं एयारूवं णामधेनं करिस्सन्ति, होउ णं दारए सगडे नामेणं, होउ णं दारिया सुदरिसणा। तते णं से सगडे दारए उम्मुक्कबालभावे जोव्वण भविस्सति। तए णं सा सुदरिसणा वि दारिया उम्मुक्कबाल-भावा विण्णय. जोव्वणगमणुप्पत्ता रूवेण जोव्वणेण य लावण्णेण य उक्किट्ठा उक्किट्ठ-सरीरया भविस्सति। तए णं से सगडे दारए सुदरिसणाए रूवेण, य जोव्वणेण य लावण्णेण य मुच्छिते 4 सुदरिसणाए भइणीए सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरिस्सति।तते णं से सगडे दारए अन्नया कयाइं सयमेव कूडगाहत्तं उपसंपज्जित्ता णं विहरिस्सति।तते णं से सगडे दारए कूडग्गाहे भविस्सति अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे। एयकम्मे 4 सुबहुं पावकम्म समजिणित्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए णेरइयत्ताए उववजिहिति, संसारो तहेव जाव पुढवीए / से णं ततो अणंतरं उव्वट्टित्ता वाणारसीए णयरीए मच्छत्ताए उववजिहिति।से णं तत्थ मच्छवधिएहिं वधिए तत्थेव वाणारसीए णयरीए सेट्टिकुलंसि पुत्तत्ताए पच्चायाहिति। बोहि, . 1. अयोमयं-त्ति अयोमयीम्, तत्तं-त्ति तप्ताम् कथमित्याह-समजोइभूयं-त्ति समातुल्या ज्योतिषावह्निना भूता या सा तथा ताम्। अवयासाविए-त्ति अवयासितः-आलिङ्गितः। ' प्रथम श्रुतस्कंध] श्री विपाक सूत्रम् / चतुर्थ अध्याय [471
SR No.004496
Book TitleVipak Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni, Shivmuni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2004
Total Pages1034
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size21 MB
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