________________ वा-" इत्यादि पाठ में वैद्य के साथ, वैद्य-पुत्र का, ज्ञायक के साथ ज्ञायक-पुत्र का एवं चिकित्सक के साथ चिकित्सक-पुत्र का उल्लेख करने का सूत्रकार का क्या अभिप्राय है ? तात्पर्य यह है कि वैद्य और वैद्यपुत्र में क्या अन्तर है, जिसके लिए उसका पृथक्-पृथक् प्रयोग किया गया है ? वृत्तिकार श्री अभयदेव सूरि ने भी इस पर कोई प्रकाश नहीं डाला। "वैद्यपुत्र" का सीधा और स्पष्ट अर्थ है-वैद्य का पुत्र-वैद्य का लड़का। इसी प्रकार ज्ञायकपुत्र और चिकित्सक-पुत्र का भी, ज्ञायक का पुत्र चिकित्सक का पुत्र-बेटा यही प्रसिद्ध अर्थ है। एवं यदि वैद्य का पुत्र वैद्य है ज्ञायक का पुत्र ज्ञायक और चिकित्सक का पुत्र भी चिकित्सक है तब तो वह वैद्य ज्ञायक एवं चिकित्सक के नाम से ही सुगृहीत हैं, फिर इसका पृथक् निर्देश क्यों? अगर उस में-वैद्यपुत्र में वैद्योचित गुणों का असद्भाव है तब तो उसका आकारित करना तथा उसका वहां जाना ये सब कुछ उपहास्यास्पद ही हो जाता है। हां ! अगर "वैद्यपुत्र" आदि शब्दों को यौगिक न मान कर रूढ़ अर्थात् संज्ञा-वाचक मान लिया जाए-तात्पर्य यह है कि वैद्यपुत्र का "वैद्य का पुत्र" अर्थ न कर के "वैद्यपुत्र" इस नाम का कोई व्यक्ति विशेष माना जाए तब तो इस के पृथक् निर्देश की कथमपि उपपत्ति हो सकती है। परन्तु इस में भी यह आशंका बाकी रह जाती है कि जिस प्रकार वैद्य शब्द से -आयुर्वेद का ज्ञाता और चिकित्सक कर्म में निपुण यह अर्थ सुगृहीत होता है उसी प्रकार "वैद्य-पुत्र" शब्द का भी कोई स्वतंत्र एवं सुरक्षित अर्थ है ? जिसका कहीं पर उपयोग हुआ या होता हो ? टीकाकार महानुभावों ने भी इस विषय में कोई मार्ग प्रदर्शित नहीं किया। तब प्रस्तुत आगम पाठ में वैद्य पुत्र आदि शब्दों की पृथक् नियुक्ति किस अभिप्राय से की गई है ? विद्वानों को यह अवश्य विचारणीय है। . पाठकों को इतना स्मरण अवश्य रहे कि हमारे इस विचार-सन्देह में हमने अपने सन्देह को ही अभिव्यक्त किया है, इस में किसी प्रकार के आक्षेप-प्रधान विचार को कोई स्थान नहीं। हम आगमवादी अर्थात् आगम-प्रमाण का सर्वेसर्वा अनुसरण करने और उसे स्वतः प्रमाण मानने वाले व्यक्तियों में से हैं। इसलिए हमारे आगम-विषयक श्रद्धा-पूरित हृदय में उस परआगम पर आक्षेप करने के लिए कोई स्थान नहीं। और प्रस्तुत चर्चा भी श्रद्धा-पूरित हृदय में उत्पन्न हुई हार्दिक सन्देह भावना मूलक ही है। किसी आगम में प्रयुक्त हुए किसी शब्द के विषय में उसके अभिप्राय से अज्ञात होना हमारी छद्मस्थता को ही आभारी है / तथापि हमें गुरु चरणों से इस विषय में जो समाधान प्राप्त हुआ वह इस प्रकार है _ वैद्य शब्द प्राचीन अनुभवी वृद्ध वैद्य का बोधक है और वैद्यपुत्र उनकी देखरेख मेंउनके हाथ नीचे काम करने वाले लघु वैद्य का परिचायक है। . किसी विशिष्ट रोगी के चिकित्सा क्रम में इन दोनों की ही आवश्यकता रहती है। वृद्ध प्रथम श्रुतस्कंध ] श्री विपाक सूत्रम् / प्रथम अध्याय [179