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________________ अनेकों लक्षण चरक-संहिता में लिखे हैं। विस्तार भय से यहां उन का उल्लेख नहीं किया जा रहा है। जिज्ञासु वहीं से देख सकते हैं। अब सूत्रकार मृगापुत्र का वर्णन करने के अनन्तर एक जन्मान्ध पुरुष का वर्णन करते मूल-तत्थ णं मियग्गामे नगरे एगे जातिअंधे पुरिसे परिवसति। से णं एगेणं सचक्खुतेणं पुरिसेणं पुरतो दंडएणं पगड्ढिजमाणे 2 फुट्टहडाहडसीसे मच्छियाचडगरपहकरेणं अण्णिजमाणमग्गे मियग्गामे णगरे गिहे गिहे कालुणवडियाए वित्तिं कप्पेमाणे विहरति। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जाव समोसरिते।जाव परिसा निग्गया। तते णं से विजए खत्तिए इमीसे कहाए लद्धढे समाणे जहा कूणिए तहा निग्गते जाव पज्जुवासति, तते णं से जाति-अन्धे पुरिसे तं महया जणसदं च जाव सुणेत्ता तं पुरिसं एवं वयांसीकिण्णं देवाणुप्पिया ! अज मियग्गामे इंदमहे इ वा जाव निग्गच्छति ? तते णं से पुरिसे तं जातिअंध-पुरिसं एवं वयासी- नो खलु देवा ! इंदमहे जाव निग्गए, एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे जाव विहरति, तते णं एए जाव निग्गच्छन्ति। तते णं से जातिअंधपुरिसे तं पुरिसं एवं वयासी-गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! अम्हे वि समणं भगवं जाव पज्जुवासामो, तते णं से जाति-अंधपुरिसे पुरतो दंडएणं पगड्ढिजमाणे 2 जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागते, उवागच्छित्ता तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेति, करेत्ता वंदति-नमंसति, वंदित्ता नमंसित्ता जाव पज्जुवासति।ततेणंसमणे विजयस्स तीसे य धम्ममाइक्खइ परिसा जाव पडिगया।विजए विगए।तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स जेटे अंतेवासी इंदभूती णामं अणगारे जाव विहरति। तते णं से भगवं गोयमे तं जातिअंधपुरिसं पासति पासित्ता जायसड्ढे एवं वयासी-अस्थि णं भंते ! केइ पुरिसे जातिअंधे जायअंधारूवे? हंता अत्थि।कहिणं भंते ! से पुरिसे जातिअंधे जायअंधारूवे? छाया-तत्र मृगाग्रामे नगरे एको जात्यन्धः पुरुषः परिवसति।स एकेन सचक्षुष्केण पुरुषेण पुरतो दण्डेन प्रकृष्यमाणः 2 स्फुटितात्यर्थशीर्षो मक्षिकाप्रधानसमूहेनान्वीयमान 124 ] श्री विपाक सूत्रम् / प्रथम अध्याय [प्रथम श्रुतस्कंध
SR No.004496
Book TitleVipak Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni, Shivmuni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2004
Total Pages1034
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size21 MB
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