________________ श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् 73 केशेषु चमरी हन्ति, सीम्नि पुष्कलको हतः // 1 // " तयुक्त इति किम् ? वेतनेन धान्यं लुनाति // 100 / अप्रत्यादावसाधुना / 2 / 2 / 101 // प्रत्यादेरप्रयोगे, असाधुशब्देन युक्तात् 'सप्तमी' स्यात्, असाधुमैत्रो मातरि / अप्रत्यादाविति किम् ? असाधुमैत्रो मातरं प्रति परि अनु अभि वा // 101 // . साधुना / 2 / 2 / 102 // अप्रत्यादौ साधुशब्देन युक्तात् 'सप्तमी' स्यात्, साधुमैत्रो मातरि / अप्रत्यादावित्येव- साधुर्मातरं प्रति परि अनु अभि वा / / 102 // . निपुणेन चाऽर्चायाम् / 2 / 2 / 103 // निपुण-साधुशब्दाभ्यां युक्तादप्रत्यादी ‘सप्तमी' स्यात्, अर्चायाम् / मातरि निपुणः साधुर्वा / अर्चायामिति किम् ? निपुणो मैत्रो मातुः, मातैवैनं निपुणं मन्यत इत्यर्थः / अप्रत्यादावित्येव - निपुणो मैत्रो मातरं प्रति परि अनु अभि वा // 103 // स्वेशेऽधिना / 2 / 2 / 104 // स्वे-ईशितव्ये ईशे च वर्तमानादधिना युक्तात् ‘सप्तमी' स्यात् / अधिमगधेषु श्रेणिकः, अधिश्रेणिके मगधाः // 104|| उपेनाऽधिकिनि / 2 / 2 / 105 // उपेन युक्तादधिकिवाचिनः ‘सप्तमी' स्यात् / उपखार्यां द्रोणः // 105 // यद्भावो भावलक्षणम् / 2 / 2 / 106 // भावः- क्रिया, यस्य भावेनाऽन्यो भावो लक्ष्यते तद्वाचिनः ‘सप्तमी' स्यात् / गोषु दुह्यमानांसु गतः // 106 // गते गम्येऽध्वनोऽन्तेनैकार्थ्यं वा / 2 / 2 / 107 //