________________ श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् प न व-मन्तसंयोगात् / 2 / 1111 // वान्तान्मान्ताच्च संयोगात्परस्या-'ऽनोऽस्य लुग् न' स्यात् / पर्वणा, कर्मणी // हनो हुनो नः / 2 / 11112 // 'हन्तेनो नः' स्यात् / भ्रूणनी, नन्ति / न इति किम् ? वृत्रहणौ // 112 // लुगस्यादेत्यपदे / 2 / 11113 // अपदादावकारे एकारे च परे-'ऽस्य लुक्' स्यात् / सः, पचन्ति, पचे / अपद इति किम् ? दण्डाग्रम् // 113 // डित्यन्त्यस्वरादेः / 2 / 11114 // स्वराणां योऽन्त्यस्वरस्तदादेः शब्दस्य डिति परे ‘लुक्' स्यात् / मुनौ, साधौ, पितुः // 114 // अवर्णादश्नोऽन्तो वाऽतुरीङयोः / 2 / 1 / 115 // भावर्जादवर्णात् परस्याऽतुः स्थाने-'ऽन्तो वा' स्यात्, ई-ड्योः / तुदन्ती, तुदती कुले स्त्री वा / एवम्- भान्ती, भाती / अवर्णादिति किम् ? अदती / अन्न इति किम् ? लुनती // 115 / / श्य-शवः / 2 / 1116 // श्याच्छवश्च परस्याऽतुरीङ्योः परयोरन्त इत्यादेशः स्यात् / दीव्यन्ती, पचन्ती / . दिव औः सौ / 2 / 1 / 117 // दिवः सौ परे ‘औः' स्यात् / द्यौः // 117 / / उः पदान्तेऽनूत् / 2 / 11118 // पदान्तस्य दिव 'उः' स्यात्, अनूत्- स तु दी? न स्यात् / धुभ्याम्, धुषु / पदान्त इति किम् ? दिवि / अनूदिति किम् ? धुभवति // 118 // . इत्याचार्यश्रीहेमचन्द्रविरचितायां सिद्धहेमचन्द्राभिधानस्वोपज्ञशब्दानुशासन