________________ 46 श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् / धातोरिवर्णोवर्णस्येयुत् स्वरे प्रत्यये / 2 / 1 / 50 // धातोरिवर्णोवर्णयोः स्वरादौ प्रत्यये परे यथासंख्यम्-'इयुवौ" स्याताम् / नियौ लुवौ, अधीयते, लुलुवुः / प्रत्यये इति किम् ? न्यर्थः, ल्वर्थः / नयनम नायक इत्यादौ तु परत्वाद् गुण-वृद्धी // 50 // इणः / 2 / 1151 // इणो धातोः स्वरादी प्रत्यये परे ‘इय्' स्यात् / यापवादः / ईयतुः, ईयुः // 51 // संयोगात् / 2 / 1152 // धातोरिवर्णोवर्णयोः संयोगात्परयोः स्वरादौ प्रत्यये परे ‘इयुवौ' स्याताम् यवक्रियौ, कटप्रुवौ, शिश्रियुः // 52 // भ्रू-श्नोः / 2 / 1153 // भ्रू-श्नोरुवर्णस्य संयोगात् परस्य स्वरादौ प्रत्यये परे ‘उन्' स्यात् / ध्रुव आप्नुवन्ति / संयोगादित्येव- चिन्वन्ति // 53 // स्त्रियाः / 2 / 1154 // स्त्रिया इवर्णस्य स्वरादी प्रत्यये परे ‘इय्' स्यात् / स्त्रियौ / अतिस्त्रियौ // 54 // वाऽम्- शसि / 2 / 1155 // स्त्रिया इवर्णस्याऽम्- शसोः परयोरिय् वा स्यात् / स्त्रियं, स्त्रीम्स्त्रियः स्त्रीः // 55 // योऽनेकस्वरस्य / 2 / 1156 // अनेकस्वरस्य धातोरिवर्णस्य स्वरादी प्रत्यये परे ‘यः' स्यात् / चिच्युः, निन्युः पतिमिच्छति- पत्यि // 56 // स्यादौ वः / 2 / 1157 // . अनेकस्वरस्य धातोरुवर्णस्य स्वरादी स्यादौ परे 'वः'. स्यात् / वसुमिच्छन्तौ