________________ श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् 45 प्रियत्यत् // 42 // अदसो दः सेस्तु डौ / 2 / 1 / 43 // त्यदां सौ परे ‘अदसो दः सः' स्यात्, ‘सेस्तु डौ' / असौ, असकौ, हे असौ !, हे असकौ ! / त्यदामित्येव- अत्यदाः // 43 // असुको वाऽकि / 2 / 1 / 44 // त्यदां सौ परे ‘अदसोऽकि सत्यसुको वा' स्यात् / असुकः, असकौ; हे असुक ! हे असकौ ! // 44 // मोऽवर्णस्य / 2 / 1 / 45 // अवर्णान्तस्य त्यदामदसो ‘दो मः' स्यात् / अमू नरौ स्त्रियौ कुले वा / अमी, अमूदृशः / अवर्णस्येति किम् ? अदः कुलम् // 45 // . वाऽद्रौ / 2 / 1146 // अदसोऽद्रावन्ते सति 'दो म् वा' स्यात् / अदमुयङ्, अमुव्यङ्, अमुमुयङ्, अदव्यङ् // 46 // मादुवर्णोऽनु / 2 / 1147 // अदसो मः परस्य वर्णस्य ‘उवर्णः' स्यात्, अनु- पश्चात्कार्यान्तरेभ्यः / अमुम्, अमू, अमुमुयङ् / अन्विति किम् ? अमुष्मै, अमुष्मिन् // 47 // . प्रागिनात् / 2 / 1148 // अदसो मः परस्य वर्णस्येनादेशात् प्राक् ‘उवर्णः' स्यात् / अमुना / इनादिति किम् ? अमुया // 48 // .. बहुष्वेरीः / 2 / 1 / 49 // बह्वर्थवृत्तेरदसो मः परस्य ‘एत ई:' स्यात् / अमी, अमीषु, / एरिति किम् ? अमूः स्त्रियः / मादित्येव- अमुके // 49 //