________________ श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् संख्या-साय-वेरस्याऽहन् ङौ वा / 1 / 4 / 50 // संख्यावाचिभ्यः साय-विभ्यां च परस्याऽह्नस्य डौ परे-'ऽहन् वा' स्यात् / व्यहनि, व्यह्नि, व्यते। सायाहनि, सायाह्नि, सायाह्ने / व्यहनि, व्यह्नि, व्यते // 50 // निय आम् / 1 / 4 / 51 // नियः परस्य 'डेराम्' स्यात् / नियाम्, ग्रामण्याम् // 51 // वाष्टन आः स्यादौ / 1 / 4 / 52 // अष्टनः स्यादौ परे ‘आ वा' स्यात् / अष्टाभिः, अष्टभिः / प्रियाष्टाः, प्रियाष्टा // अष्ट और्जस्-शसोः / 1 / 4 / 53 // अष्टनः कृताऽऽत्वस्य ‘जस्-शसोरौः' स्यात् / अष्टौ, अष्टौ // 53 // डति-ष्णः संख्याया लुप् / 1 / 4 / 54 // डति-ष-नान्तानां संख्यानाम् ‘जस्-शसोलुप्' स्यात् / कति, कति / षट्, षट् / पञ्च, पञ्च // 54 // नपुंसकस्य शिः / 1 / 455 // नपुंसकस्य जस्-शसोः 'शिः' स्यात् / कुण्डानि, पयांसि // 55 // औरीः / 11456 // नपुंसकस्य ‘औरीः' स्यात् / कुण्डे / पयसी // 56 // अतः स्यमोऽम् / 1 / 4 / 57 // अदन्तस्य नपुंसकस्य ‘स्यमोरम्' स्यात् / कुण्डम्, हे कुण्ड ! // 57 // . पञ्चतोऽन्यादेरनेकतरस्य दः / 1 / 4 / 58 // पञ्चपरिमाणस्य नपुंसकस्याऽन्यादेः ‘स्यमोदः' स्यात्, एकतरवर्जम् / अन्यत्, अन्यतरत्, इतरत्, कतरत्, कतमत् / अनेकतरस्येति किम् ? एकतरम् // अनतो लुप् / 14 / 59 // .