________________ 28 श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् अतिलक्ष्म्यै पुंसे स्त्रियै वा / स्त्रीति किम् ? ग्रामण्ये खलप्वे पुंसे स्त्रियै // 29 // वेयुवोऽस्त्रियाः // 1 // 4 // 30 // : इयुव्स्थानिनौ यौ स्त्रीदूतौ तदन्तात् स्त्रीवर्जात्परेषां स्यादेर्डितां यथासंख्यम् ‘दै-दास्-दास्-दामो वा' स्युः / श्रियै, श्रिये; श्रियाः, श्रियः२, श्रियाम्, श्रियि / अतिश्रियै, अतिश्रिये पुंसे स्त्रियै वा / ध्रुवै, ध्रुवे; भ्रवाः, ध्रुवः, ध्रुवाः भ्रवः; भ्रुवाम्, ध्रुवि / अतिभ्रुवै अतिध्रुवे पुंसे स्त्रियै वा / इयुव इति किम् ? आध्यै / अस्त्रिया इति किम् ? स्त्रियै // 30 // आमो नाम् वा // 1 // 4 // 31 // इयुवोः स्थानिभ्यां स्त्रीदूदन्ताभ्यां परस्य ‘आमो नाम् वा' स्यात्, न तु स्त्रियाः / श्रीणाम्, श्रियाम् / भ्रूणाम्, ध्रुवाम् / अतिश्रीणाम्, अतिश्रियाम् ।अतिभ्रूणाम् अतिध्रुवाम् नृणाम् स्त्रीणाम् वा / इयुव इत्येव-प्रधीनाम् // 31 // हस्वाऽऽपश्च / 1 / 4 / 32 // हस्वान्तादाबन्तात् स्त्रीदूदन्ताच्च परस्याऽऽमो 'नाम्' स्यात् / देवानाम्, मालानाम्, स्त्रीणाम्, वधूनाम् // 32 // संख्यानां र्णाम् / 1 / 4 / 33 // र-ष-नान्तानां संख्यावाचिनामाऽऽमो 'नाम्' स्यात् / चतुर्णाम्, षण्णाम्, पञ्चानाम्, अष्टानाम् // 33 // स्त्रयः / 1 / 4 // 34 // आमः सम्बन्धिनस्त्रेस्त्रयः स्यात् / त्रयाणाम्, परमत्रयाणाम् // 34 // एदोद्भ्यां सि-ङसो रः / 1 / 4 / 35 // एदोद्भ्यां परयोः प्रत्येकं असि-ङसो 'रः' स्यात् / मुनेः, मुनेः / धेनोः, धेनोः / गोः, गोः / द्योः, द्योः // 35 //