________________ 300 श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् 1804 गृणि विज्ञाने / 1827 वस्ति 1828 गन्धिण् 1805 वञ्चिण प्रलम्भने / अर्दने / 1806 कुटिण् प्रतापने / 1829 डपि 1830 डिपि 1807 मदिण् तृप्तियोगे / 1831 डम्पि 1832 डिम्पि 1808 विदिण चेतना-ऽऽ-ख्यान- | 1833 डम्भि 1834 डिम्भिण् निवासेषु / . संघाते / 1809 मनिण् स्तम्भे / 1835 स्यमिण वितर्के। 1810 बलि 1811 भलिण् / | 1836 शमिण आलोचने / आभण्डने / | 1837 कुस्मिण कुस्मयने / 1812 दिविण् परिकूजने / 1838 गूरिण उद्यमे / 1813 वृषिण् शक्तिबन्धे / 1839 तन्त्रिण कुटुम्बधारणे / 1814 कुत्सिण अवक्षेपे / 1840 मन्त्रिण गुप्तभाषणे / 1815 लक्षिण आलोचने / . 1841 ललिण् ईप्सायाम् / 1816 हिष्कि 1817 किष्किण् | 1842 स्पशिण ग्रहण-श्लेषणयोः / हिंसायाम् / | 1843 दंशिण् दशने / 1818 निष्किण परिमाणे / 1844 दंसिण् दर्शने च / 1819 तर्जिण् संतर्जने / 1845 भर्सिण संतर्जने / 1820 कूटिण अप्रमादे / 1846 यक्षिण पूजायाम् / 1821 त्रुटिण् छेदने / // इति आत्मनेभाषाः // 1822 शठिण् श्लाघायाम् / 1823 कूणिण संकोचने / 1847 अङ्कण् लक्षणे / / 1824 तूणिण पूरणे / 1848 ब्लेष्कण दर्शने / 1825 भ्रूणिण आशायाम् / 1849 सुख 1850 दुःखण् 1826 चितिण संवेदने /