________________ श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् 1742 ष्वदण् आस्वादने / 1764 अर्हण पूजायाम् / [ आस्वादः सकर्मकात् ] | 1765 मोक्षण असने / 1743 मुदण् संसर्गे। 1766 लोक 1767 तर्क 1744 शृधण् प्रसहने / 1768 रघु 1769 लघु 1745 कृपण अवकल्पने / ' 1770 लोचू 1771 विछ 1746 जभुण नाशने / 1772 अजु 1773 तुजु 1747 अमण रोगे। 1774 पिजु 1775 लजु 1748 चरण असंशये / 1776 लुजु 1777 भजु 1749 पूरण आप्यायने / | 1778 पट 1779 पुट 1750 दलण विदारणे / 1780 लुट 1781 घट 1751 दिवण् अर्दने / | 1782 घटु 1783 वृत 1752 पश 1753 पषण 1784 पुथ 1785 नद बन्धने / | 1786 वृध 1787 गुप 1754 पुषण धारणे / 1788 धूप 1789 कुप 1755 घुषण विशब्दने / .1790 चीव 1791 दशु (आङः क्रन्दे / ) 1792 कुशु 1793 त्रसु 1756 भूष 1757 तसुण 1794 पिसु 1795 कुसु __ अलंकारे / / 1796 दसु 1797. वह 1758 जसण ताडने / 1798 वह 1799 वल्ह 1759 सण वारणे / 1800 अहु 1801 वहु 1760 वसण स्नेह-छेदा-ऽवहरणेषु / | 1802 महुण् भासार्थाः / 1761 ध्रसण उत्क्षेपे / // इति परस्मैभाषाः // . 1762 ग्रसण ग्रहणे / 1763 लसण् शिल्पयोगे / | 1803 युणि जुगुप्सायाम् /