________________ 289 . श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् 1288 शिंग्ट् निशाने / 1311 धिवुट् गतौ / 1289 डुमिंग्ट प्रक्षेपणे / 1312 जिधृषाट् प्रागल्भ्ये / 1290 चिंग्ट् चयने / // इति परस्मैभाषाः // 1291 धूगट् कम्पने / 1292 स्तुंगट आच्छादने / 1313 टिघिट आस्कन्दने / 1293 इंग्ट् हिंसायाम् / 1314 अशौटि व्याप्तौ / 1294 वृगट् वरणे / // इति आत्मनेभाषाः // // इति उभयतोभाषाः // // इति स्वादयष्टितो धातवः॥ 1295 हिंट गति-वृद्ध्योः / 1315 तुदींत् व्यथने / 1296 श्रृंट् श्रवणे / 1316 भ्रस्जीत् पाके / 1297 टुदुंट उपतापे / 1317 क्षिपीत् प्रेरणे। 1298 पृट् प्रीतौ / . 1318 दिशीत् अतिसर्जने / 1299 स्मृट् पालने च / 1319 कृषीत् विलेखने / 1300 शक्लट् शक्तौ / 1301 तिक 1302 तिग | 1320 मुच्छंती मोक्षणे / 1303 षघट् हिंसायाम् / / 1321 षिचीत् क्षरणे / 1304 राधं 1305 साधंट 1322 विलंती लाभे / ... संसिद्धौ / 1323 लुप्लंती छेदने / 1306 ऋधूट वृद्धौ / 1307 आप्लंट् व्याप्ती / 1324 लिपीत् उपदेहे / 1308 तृपट् प्रीणने / // इति उभयतोभाषाः // 1309 दम्भूटु दम्भे / 1310 कृवुट् हिंसा-करणयोः / / 1325 कृतैत् छेदने /