________________ __ श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् 287 1200 णम 1201 तुभच् 1226 वसूच् स्तम्भे / हिंसायाम् / 1227 वुसच् उत्सर्गे। 1202 नशौच अदर्शने / 1228 मुसच् खण्डने / 1203 कुशच् श्लेषणे / 1229 मसैच् परिणामे / 1204 भृशू 1205 भ्रंशूच् 1230 शमू 1231 दमूच् - अधःपतने / उपशमे / 1206 वृशच वरणे / 1232 तमूच् काङ्क्षायाम् / 1207 कृशच् तनुत्वे / . 1233 श्रमूच् खेद-तपसोः / 1208 शुषंच शोषणे / 1234 भ्रमूच अनवस्थाने / 1209 दुषंच् वैकृत्ये / 1235 क्षमौच सहने / 1210. श्लिषंच् आलिङ्गने / . 1236 मदैच् हर्षे / 1211 प्लुषूच् दाहे / 1237 कुमूच् ग्लानौ / 1212 जितृषच पिपासायाम् / 1238 मुहीच वैचित्त्ये / 1213 तुषं 1214 हृषच तुष्टौ / | 1239 द्रुहोच् जिघांसायाम् / 1215 रुषच रोषे / 1240 ष्णुहौच उद्गिरणे / 1216 प्युष् 1217 प्युस्. / 1241 ष्णिहौ च प्रीतौ / 1218 पुसच् विभागे। // वृत पुषादिः // 1219 विसच् प्रेरणे / // इति परस्मैभाषाः // 1220 कुसच् श्लेषे / . 1221 असूच क्षेपणे / 1222 .यसूच् प्रयले / 1242 षूडौच् प्राणिप्रसवे / 1223 जसूच मोक्षणे / 1243 दूङ्च् परितापे / 1224 तसू 1225 दसूच 1244 दीङ्च् क्षये / . उपक्षये / 1245 धींग्च् अनादरे /