________________ 286 श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् 1150 षोंच अन्तकर्मणि / 1175 पुषंच् पुष्टौ / 1151 व्रीडच् लज्जायाम् / 1176 उचच् समवाये / 1152 नृतैच् नर्तने / 1177 लुटच् विलोटने / 1153 कुथच् पूतिभावे / 1178 विदांच् गात्रप्रक्षरणे / 1154 पुथच् हिंसायाम् / 1179 क्लिदौच आर्द्रभावे / / 1155 गुधच् परिवेष्टने / 1180 जिमिदाच् स्नेहने / 1156 राधंच वृद्धौ / 1181 जिक्ष्विदाच मोचने च / 1157 व्यधंच ताडने / 1182 क्षुधंच बुभुक्षायाम् / 1158 क्षिपंच प्रेरणे / 1183 शुधंच शौचे / 1159 पुष्पच् विकसने / 1184 क्रुधंच कोपे / 1160 तिम 1161 तीम - 1185 षिवूच संराद्धौ / 1162 ष्टिम 1163 टीमच् | 1186 ऋधूच् वृद्धौ / आर्द्रभावे / 1187 गृधूच् अभिकाङ्क्षायाम् / 1164 षिवूच उतौ / 1188 रधौच हिंसा-संराद्ध्योः / 1165 श्रिवूच गति-शोषणयोः / 1189 तृपौच प्रीतौ / 1166 ठिवू 1167 क्षिवूच 1190 दृपीच हर्ष मोहनयोः / निरसने / 1191 कुपच् क्रोधे / 1168 इषच् गतौ / 1192 गुपच व्याकुलत्वे / 1169 ष्णसूच निरसने / 1193 युप 1194 रुप 1170 क्नसूच वृति-दीप्त्योः / 1195 लुपच् विमोहने / 1171 त्रसैच भये / 1196 डिपच् क्षेपे / 1172 प्युसच् दाहे / 1197 ष्टूपच् समुच्छाये / 1173 षह 1174 षुहच शक्तौ / 1198 लुभच् गाये / | 1199 शुभच् संचलने /