________________ / . . त्रातिदहमचन्प्रशब्दानुशासन श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् 281 931 अषी 932 असी गत्या- | 955 वृतूङ् वर्तने / . दानयोश्च / / 956 स्यन्दौङ् स्रवणे / 933 दासृग् दाने / 957 वृधूङ् वृद्धौ / 934 माग माने / 958 शृधूङ् शब्दकुत्सायाम् / 935 गुहौग संवरणे / 959 कृपौङ् सामर्थ्ये / 936 भ्लक्षी भक्षणे / // वृत युतादयः // // इति उभयतोभाषाः // 960 ज्वल दीप्तौ / 937 घुति दीप्तौ / 961 कुच् सम्पर्चन-कौटिल्य९३८ रुचि अभिप्रीत्यां च / . प्रतिष्टम्भ-विलेखनेषु / 939 घुटि परिवर्तने / / | 962 पल 963 पथे गतौ / 940 रुटि 941 लुटि / / / 964 क्वथे निष्पाके / 942 लुठि प्रतीपाते / | 965 मथे विलोडने / 943 श्विताङ् वर्णे। 966 षद्लं विशरण-गत्यवसा९४४ जिमिदाङ् स्नेहने / दनेषु / 945 - निविदाङ् - 967 शद्लं शातने / 946 अिष्विदाङ् मोचने च / 968 बुध अवगमने / 947 शुभि दीप्ती / 969 टुवमू उद्गिरणे / . 948 क्षुभि संचल्ने / 970 भ्रमू चलने / 949 णभि 950 तुभि 971 क्षर संचलने / हिंसायाम्। 972 चल कम्पने / 951 नम्भू विश्वासे / 973 जल घात्ये / 952 अंशूङ 953 संसूङ् अव- | 974 टल 975 ट्वल वैकुव्ये / संसने / | 976 ठल स्थाने / 954 ध्वंसूङ् गती च /