________________ 282 . श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् .. 977 हल विलेखने / / 999 वसं निवासे / . 978 णल गन्धे / // वृत् यजादिः // 979 बल प्राणनधान्यावरोधयोः / / 980 पुल महत्त्वे / 1000 घटिष् चेष्टायाम् / 981 कुल बन्धु-संस्त्यानयोः / / 1001 क्षजुङ् गति-दानयोः / 982 पल 983 फल 1002 व्यथिष् भय-चलनयोः / 984 शल गतौ / 1003 प्रथिष् प्रख्याने / 985 हुल हिंसा-संवरणयोश्च / . | 1004 म्रदिष् मर्दने / 986 क्रुशं आह्वान-रोदनयोः / 1005 स्खदिष् खदने / 987 कस गतौ / 1006 कदुङ् 1007 क्रदुङ् 988 रुहं जन्मनि / 1008 कूदुङ् वैकुव्ये / 989 रमिं क्रीडायाम् / / 1009 क्रपि कृपायाम् / 990 षहि मर्षणे / . 1010 जित्वरिष् सम्भ्रमे / // वृत ज्वलादिः // 1011 प्रसिष् विस्तारे / 1012 दक्षि हिंसा-गत्योः / 991 यजी देवपूजा-सङ्गति-करण 1013 श्रां पाके / 1014 स्म॒ आध्याने / दानेषु / 992 वेंग् तन्तुसन्ताने / 1015 द् भये / 1016 नू नये / 993 व्यग् संवरणे / 1017 ष्टक 1018 स्तक 994 लैंग् स्पर्धा-शब्दयोः / प्रतीपाते / 995 टुवपी बीजसन्ताने / 1019 चक तृप्तौ च / 996 वहीं प्रापणे / 997 ट्वोश्वि गति-वृद्ध्योः 1020 अक कुटिलायां गतौ / / 998 वद व्यक्तायां वाचि / | 1021 कखे हसने /