________________ 250 श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् % E . घस्ल सनद्यतनी-घत्रचलि / 4 / 4 / 17 // एष्वदे-'घस्लः' स्यात् / जिघत्सति, अघसत्, घासः, प्रात्तीति–प्रघसः, प्रादनम्=प्रघसः // 17 // परोक्षायां नवा / 4 / 4 / 18 // अदेः परोक्षायां 'घस्ला ' स्यात् / जक्षुः, आदुः // 18 // वेर्वय् / 4 / 4 / 19 // वेगः परोक्षायाम् ‘वय वा' स्यात् / ऊयुः, ववुः // 19 // ऋः शृ-दृ-प्रः / 4 / 4 / 20 // एषां परोक्षायाम् 'ऋर्वा' स्यात् / विशश्रतुः, विशशरतुः; विदद्रतुः, विददरतुःः निपप्रतुः; निपपरतुः // 20 // हनो वध आशिष्यजौ / 4 / 4 / 21 / आशीविषये 'हन्तेर्वधः स्यात्, न तु ब्रिटि' / वध्यात् / अाविति किम् ? घानिषीष्ट // 21 // . अद्यतन्यां वा त्वात्मने / 4 / 4 / 22 // अद्यतन्यां विषये 'हनो वधः स्याद्, आत्मनेपदे तु वा' / अवधीत्; आवधिष्ट; आहत // 22 // इणिकोईः // 44 // 23 // इणिकोरद्यतन्याम् ‘गाः' स्यात् / अगात्, अध्यगात् // 23 // ___णावज्ञाने गमुः / 4 / 4 / 24 // इणिकोरज्ञानार्थयोर्णी “गमुः' स्यात् / गमयति, अधिगमयति / अज्ञान इति किम् ? अर्थान् प्रत्याययति // 24 // सनीङश्च / 4 / 4 / 25 //