________________ 12 श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् गोरोतः पदान्तस्थस्य अक्षे परे संज्ञायाम् 'अव' इति स्यात् / गवाक्षः / नाम्नीति किम् ? गोऽक्षाणि // 28 // स्वरे वाऽनक्षे / 1 / 2 / 29 // गोरोतः पदान्तस्थस्य स्वरे परे ‘अव' इति वा स्यात्, स चेत् स्वरोऽक्षस्थो न स्यात् / गवाग्रम्, गोऽग्रम्; गवेशः, गवीशः / अनक्ष इति किम् ? गोऽक्षम् / ओत इति किम् ? चित्रग्वर्थः // 29 // . .. इन्द्रे // 1 // 2 // 30 // गोरोतः पदान्तस्थस्य इन्द्रस्थे स्वरे परे 'अव' इति स्यात् / गवेन्द्रः // 30 // वाऽत्यसन्धिः / 1 / 2 / 31 // गोरोतः पदान्तस्थस्य, अकारे परे 'असन्धिभावो वा' स्यात् / गोअग्रम्, गवाग्रम्, गोऽग्रम् / अतीति किम् ? गवेङ्गितम् // 31 // प्लुतोऽनितौ // 1 // 2 // 32 // इतिवर्जे स्वरे परे ‘प्लुतः सन्धिभाग् न' स्यात् / देवदत्त३ अत्र न्वसि / अनिताविति किम् ? सुश्लोकेति // 32 // इ३ वा / 12 / 33 // . इस्थानः प्लुतः स्वरे परे 'असन्धिर्वा' स्यात् / लुनीहि३ इति, लुनीहीति // 33 // ईदूदेद्विवचनम् // 1 // 2 // 34 // 'ई-ऊ-ए' इत्येवमन्तं द्विवचनान्तं स्वरे परे 'असन्धिः' स्यात् / मुनी इह, साधू एती, माले इमे, पचेते इति / ईदूदेदिति किम् ? वृक्षावत्र / द्विवचनमिति किम् ? कुमार्यत्र // 34 // अदोमु-मी / 12 / 35 // अदसः सम्बन्धिनौ 'मु-मी' इत्येतौ स्वरे परे 'असन्धी' स्याताम् / अमुमु