________________ 10 श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् प्राऽवर्णस्य एषादिषु परेषु परेण स्वरेण सह 'ऐ-औ' स्याताम् / प्रैषः, प्रैष्यः, प्रौढः, प्रौढिः, प्रौहः // 14 // __ स्वैर-स्वैर्यक्षौहिण्याम् / 1 / 2 / 15 // स्वैरादिष्ववर्णस्य * परेण स्वरेण सह 'ऐ-औ' स्याताम् / स्वैरः, स्वैरी, अक्षौहिणी सेना // 15 // अनियोगे लुगेवे / 1 / 2 / 16 // अनियोगो अनवधारणम्, तद्विषये एवे परेऽवर्णस्य 'लुक्' स्यात् / इहेव तिष्ठ, अद्येव गच्छ; नियोगे तुं, -इहैव तिष्ठ मा गाः // 16 // वौष्ठौतौ समासे / 1 / 2 / 17 // ओष्ठौत्वोः परयोः समासेऽवर्णस्य ‘लुग वा' स्यात् / बिम्बोष्ठी, बिम्बौष्ठी; स्थूलोतुः, स्थूलौतुः / समास इति किम् ? हे पुत्रौष्ठं पश्य // 17 // ओमाङि 112 // 18 // अवर्णस्य ओमि आङादेशे च परे ‘लुक्' स्यात् / अद्योम्, सोम्, आ ऊढा, अद्योढा, सोढा // 18 // . उपसर्गस्यानिणेधेदोति // 1 // 2 // 19 // उपसर्गावर्णस्य इणेधिवर्जे एदादावोदादौ च धातौ परे ‘लुक्' स्यात् / प्रेलयति, परेलयति; प्रोषति, परोषति / अनिणेधिति किम् ? उपैति, प्रैधते // 19 // वा नाम्नि 12 / 20 // नामावयवे एदादावोदादौ च धातौ परे उपसर्गावर्णस्य 'लुग् वा' स्यात् / उपेकीयति, उपैकीयति; प्रोषधीयति, प्रौषधीयति // 20 // . इवणदिरस्वे स्वरे य-व-र-लम् / 1 / 2 / 21 // इ-उ-ऋ-ल-वर्णानामस्वे स्वरे परे यथासंख्यं ‘य व र ल' इत्येते स्युः / दध्यत्र,