________________ श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् ऋणे प्र-देशार्ण-वसन-कम्बल-वत्सर . वत्सतरस्याऽऽर् // 1 // 27 // प्रादीनामवर्णस्य ऋणे परे ऋता सह 'आर्' स्यात् / प्रार्णम्, दशार्णम्, ऋणार्णम्, वसनार्णम्, कम्बलार्णम्, वत्सरार्णम्, वत्सतरार्णम् // 7 // ऋते तृतीयासमासे // 1 // 28 // अवर्णस्य ऋते परे तृतीयासमासे ऋता सह 'आर' स्यात् / शीतार्तः / तृतीयासमास इति किम् ? परमतः / समास इति किम् ? दुःखेनतः // 8 // ऋत्यारुपसर्गस्य / 1 / 2 / 9 // उपसर्गस्थस्यावर्णस्य ऋकारादौ धातौ परे ऋता सह 'आर्' स्यात् / प्राच्छति, परार्च्छति // 9 // . - नाम्नि वा / 1 / 2 // 10 // उपसर्गस्थस्यावर्णस्य ऋकारादौ नामावयवे धातौ परे ऋता सह 'आर् वा' स्यात् / प्रार्षभीयति, प्रर्षभीयति // 10 // लत्याल् वा / 12 / 11 // उपसर्गावर्णस्य लकारादौ नामावयवे धातौ परे लता सह 'आल् वा' स्यात् / उपाल्कारीयति, उपल्कारीयति // 11 // . ऐदौत् सन्ध्यक्षरैः / 12 / 12 // अवर्णस्य सन्ध्यक्षरैः परैः सह 'ऐ-औ' इत्येतौ स्याताम् / तवैषा, खट्वैषा, तवैन्द्री, सैन्द्री; तवौदनः, तवौपगवः // 12 // ऊटा / 12 / 13 // अवर्णस्य परेण ऊटा सह 'औः' स्यात् / धौतः, धौतवान् // 13 // प्रस्यैषैष्योढोढ्यूहे स्वरेण // 1 // 2 // 14 //