________________ 146 श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् // स्यात् / मातापुत्रौ, होतापुत्रौ // 40 // वेदसहश्रुताऽवायुदेवतानाम् // 3 // 2 // 41 // 'एषां द्वन्द्वे पूर्वपदस्योत्तरपदे आः' स्यात् / इन्द्रासोमौ / वेदेति किम् ? ब्रह्मप्रजापती / सहेति किम् ? विष्णुशक्रौ / श्रुतेति किम् ? चन्द्रसूर्यौ / वायुवर्जनं किम् ? वाय्वग्नी / देवतानामिति किम् ? यूपचषालौ // 41 // ईः षोम-वरुणेऽग्नेः / 3 / 2 / 42 // 'वेदसहश्रुताऽवायुदेवतानां द्वन्द्वे षोमे वरुणे चोत्तरपदेऽग्नेरीः' स्यात्, षोमेति निर्देशाद् ईयोगे षत्वं च / अग्नीषोमौ, अग्नीवरुणौ / देवताद्वन्द्व इत्येवअग्निसोमी बटू // 42 // इवृद्धिमत्यविष्णौ // 3 // 2 // 43 // 'विष्णुवर्जे वृद्धिमत्युत्तरपदे देवताद्वन्द्वे अग्नेरिः' स्यात् / आग्निवारुणीमनड्वाहीमालभेत / वृद्धिमतीति किम् ? अग्नीवरुणौ / अविष्णाविति किम् ? आग्नावैष्णवं चरं निर्वपेत् // 43 // दिवो द्यावा // 3 // 2 // 44 // ''देवताद्वन्द्वे दिव उत्तरपदे द्यावेति' स्यात् / द्यावाभूमी // 44 // दिवस-दिवः पृथिव्यां वा / 3 / 2 // 45 // 'देवताद्वन्द्वे दिवः पृथिव्यामुत्तरपदे एतौ वा' स्याताम् / दिवस्पृथिव्यौ, दिवःपृथिव्यौ, यावापृथिव्यौ // 45 / / उषासोषसः / 3 / 2 / 46 // देवताद्वन्द्वे 'उषस उत्तरपदे उषासा' स्यात् / उषासासूर्यम् // 46 // मातरपितरं वा / 3 / 2147 // 'मातृपित्रोः पूर्वोत्तरपदयोर्द्वन्द्वे ऋतोऽरो वा निपात्यते' / मातरपितरयो मातापित्रोः // 47 //