________________ नकुलम् / नित्य -पूरा विलिङ्गाना गङ्गाशोणम्, कुरु 136 श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् // त्यानामयने / अध्वर्वति किम् ? इषुवज्रौ / क्रतोरिति किम् ? दर्शपौर्णमासौ // 139 // निकटपाठस्य / 3 / 1 / 140 // निकटः पाठो येषामध्येतॄणां तेषाम् 'स्वैर्द्वन्द्व एकार्थः' स्यात् / पदकक्रमकम् // 140 // नित्यवैरस्य / 3 / 1 / 141 // नित्यं जातिनिबद्धं वैरं येषां तेषाम् ‘स्वैर्द्वन्द्व एकार्थः' स्यात् / अहिनकुलम् / नित्यवरस्येति किम् ? देवासुराः, देवासुरम् // 141 // नदी-देश-पुरां विलिङ्गानाम् / 3 / 1 / 142 // एषां विविधलिङ्गानाम् 'स्वैर्द्वन्द्व एकार्थः' स्यात् / गङ्गाशोणम्, कुरुकुरुक्षेत्रं, मथुरापाटलिपुत्रम् / विलिङ्गानामिति किम् ? गङ्गायमुने // 142 / / पात्र्यशूद्रस्य / 3 / 1 / 143 // पात्रार्ह-शूद्रवाचिनाम् 'स्वैर्द्वन्द्व एकार्थः' स्यात् / तक्षायस्कारम् / पात्र्येति किम् ? जनङ्गमबुक्कसाः // 143 // गवाश्वादिः / 3 / 1 / 144 // 'अयं द्वन्द्व एकार्थः' स्यात् / गवाश्वम्, गवाविकम् / / 144 // न दधिपय-आदिः / 3 / 1 / 145 // 'दधिपय आद्यो द्वन्द्व एकार्थो न' स्यात् / दधिपयसी, सर्पिर्मधुनी // 145 // संख्याने / 3 / 1 / 146 // वर्तिपदार्थानां गणने गम्ये 'द्वन्द्व एकार्थो न' स्यात् / दश गोमहिषाः, बहवः पाणिपादाः // 146 // वाऽन्तिके / 3 / 1 / 147 //