________________ .. श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् 125 षष्ठी तदन्तं नाम्ना समासस्तंत्पुरुषः' स्यात् / सर्पिनिम्, गणधरोक्तिः // 77 // * याजकादिभिः / 3 / 178 // 'षष्ठ्यन्तं याजकाद्यैः समासस्तत्पुरुषः' स्यात् / ब्राह्मणयाजकः, गुरुपूजकः // 78 // पत्ति-रथौ गणकेन / 3 / 179 // एतौ 'षष्ठ्यन्तौ गणकेन समासस्तत्पुरुषः' स्याताम् / पत्तिगणकः, रथगणकः / पत्तिरथाविति किम् ? धनस्य गणकः // 79 // सर्वपश्चादादयः / 3 / 180 // एते 'षष्ठीतत्पुरुषाः साधवः' स्युः / सर्वपश्चात्, सर्वचिरम् // 8 // अकेन क्रीडा-ऽऽजीवे / 3 / 1181 // 'षष्ठ्यन्तमकप्रत्ययान्तेन क्रीडा-ऽऽजीविकयोर्गम्ययोः समासस्तत्पुरुषः' स्यात् / उद्दालकपुष्पभञ्जिका, नखलेखकः / क्रीडाजीव इति किम् ? पयसः पायकः // 8 // __ न कर्तरि / 3 / 1182 // 'कर्तरि या षष्ठी तदन्तमकाऽन्तेन समासो न ' स्यात् / तव शायिका / कर्तरीति किम् ? इक्षुभक्षिका // 2 // . कर्मजा तृचा च / 3 / 1 / 83 // 'कर्मणि या षष्ठी तदन्तं कर्तृविहिताऽकाऽन्तेन तृजन्तेन च न समासः' स्यात् / भक्तस्य भोजकः, अपां स्रष्टा / कर्मजेति किम् ? गुणो गुणिविशेषकः, सम्बन्धेऽत्र षष्ठी / कर्तरीत्येव- पयःपायिका // 83 // तृतीयायाम् / 3 / 1184 // कर्तरि तृतीयायां सत्यां कर्मजा 'षष्ठी न समस्यते' / आश्चर्यो गवां