________________ 122 श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् // मासजातः; द्विगौ- एकमासजातः, व्यह्नसुप्तः / काल इति किम् ? द्रोणो धान्यस्य // 57 // स्वयं-सामी क्तेन / 3 / 1158 // एते अव्यये क्तान्तेन ‘समासस्तत्पुरुषः' स्याताम् / स्वयंधौतम्, सामिकृतम् / क्तेनेति किम् ? स्वयं कृत्वा // 58 // द्वितीया खट्वा क्षेपे / 3 / 1159 // खट्वेति द्वितीयान्तं क्षेपे - निन्दायां क्तान्तेन ‘समासस्तत्पुरुषः' स्यात् / खट्वारूढो जाल्मः / क्षेप , इति किम् ? खट्वामारूढः पिताऽध्यापयति // 59 // . कालः / 3 / 1160 // कालवाचि द्वितीयान्तं क्तान्तेन “समासस्तत्पुरुषः' स्यात् / रात्र्यारूढाः, अहरतिसृताः // 60 // . व्याप्तौ / 3.161 // गुण-क्रिया-द्रव्यैरत्यन्तसंयोगे या द्वितीया तदन्तं कालवाचि व्यापकार्थेन 'समासस्तत्पुरुषः' स्यात् / मुहूर्तसुखम्, क्षणपाठः, दिनगुडः / व्याप्ताविति किम् ? मासं पूरको याति // 61 / / श्रितादिभिः / 3 / 1 / 62 // द्वितीयान्तं श्रितादिभिः “समासस्तत्पुरुषः' स्यात् / धर्मश्रितः, शिवगतः // 62 // प्राप्ताऽऽपन्नौ तया-ऽच / 3 / 1163 // एतौ प्रथमान्तौ द्वितीयान्तेन ‘समासस्तत्पुरुषः' स्याताम्, त्तद्योगे चानयोरत् स्यात् / प्राप्तजीविका, आपन्नजीविका // 63 // . ईषद् गुणवचनैः / 3 / 1 / 64 //