________________ श्रीसिद्भहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् 101 दन्तप्रतिपन्ना // 46 // अनाच्छादजात्यादेर्नवा // 2 // 4 // 47 // आच्छादवर्जा या जातिस्तदवयवात् कृतादिवर्जात् क्तान्ताद् बहुव्रीहेः स्त्रियां 'कीर्वा स्यात् / शाङ्गरजग्धी, शाङ्गरजग्धा / आच्छादवर्जनं किम् ? वस्त्रच्छन्ना / जात्यादेरिति किम् ? मासयाता / अकृताद्यन्तादित्येव- कुण्डकृता // 47 // . पत्युनः / 2 / 4 // 48 // पत्यन्ताद् बहुव्रीहेः स्त्रियां 'डीर्वा स्यात्, तद्योगेऽन्तस्य न च' / दृढपत्नी, दृढपतिः / मुख्यादित्येव- बहुस्थूलपतिः पुरी // 48 // . सादेः / 2 / 4 // 49 // सपूर्वपदात् पत्यन्तात् स्त्रियां ‘डीर्वा स्यात्, तद्योगेऽन्तस्य न् च' / ग्रामस्य पतिः ग्रामपली , ग्रामपतिः / सादेरिति किम् ? पतिरियम्, ग्रामस्य पतिरियम् // 49 // सपत्न्यादौ 21450 // - [ // 50 // ] एषु पतिशब्दात् स्त्रियां 'डीः' स्यात्, अन्तस्य न च' / सपली, एकपली / ऊढायाम् / 2 / 4 / 51 // पत्युः परिणीतायां स्त्रियां 'डीः स्यात्, न चाऽन्तस्य' / पत्नी, वृषलस्य पली // 51 // पाणिगृहीतीति / 2 / 4 / 52 // पाणिगृहीतीतिप्रकाराः शब्दा ऊढायां स्त्रियां 'ड्यन्ता निपात्यन्ते' / पाणिगृहीती, करगृहीती / ऊढायामित्येव - पाणिगृहीताऽन्या // 52 // पतिवल्यन्तर्वल्यौ भार्या-गर्भिण्योः / 2 / 4 // 53 // भार्या- अविधवा स्त्री, तस्यां गर्भिण्यां च यथासंख्यम् ‘एतौ निपात्येते' /