________________ 100 श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् नख-मुखादनाम्नि / 2 / 4140 // .. सहादिवर्जपूर्वपदाभ्यां स्वाङ्गाभ्यामाभ्याम् असंज्ञायामेव स्त्रियां ङीर्वा' स्यात् / शूर्पनखी, शूर्पनखा; चन्द्रमुखी, चन्द्रमुखा / अनाम्नीति किम् ? शूर्पणखा, कालमुखा // 40 // पुच्छात् / 2 / 4 / 41 // सहादिवर्जपूर्वपदात् स्वाङ्गात् पुच्छात्. स्त्रियां 'डीर्वा' स्यात् / दीर्घपुच्छी दीर्घपुच्छा // 41 // कबर-मणि-विष-शरादेः / 2 / 4 // 42 // एतत्पूर्वपदात् पुच्छात् स्त्रियां 'डीनित्यम्' स्यात् / कबरपुच्छी, मणिपुच्छी, विषपुच्छी, शरपुच्छी // 42 // पक्षाचोपमानाऽऽदेः / 2 / 4 / 43 // उपमानपूर्वात् पक्षात् पुच्छाच्च स्त्रियां 'डीः' स्यात् / उलूकपक्षी शाला, उलूकपुच्छी सेना // 43 // क्रीतात् करणादेः / 2 / 4 / 44 // करणादेः क्रीतान्ताददन्तात् स्त्रियां 'डीः' स्यात् / अश्वक्रीति, मनसाक्रीति / आदेरिति किम् ? अश्वेन क्रीता // 44 // तादल्पे / 2 / 4 // 45 // क्तान्तात् करणादेरल्पेऽर्थे स्त्रियां 'डीः' स्यात् / अभ्रविलिप्ती द्यौः, अल्पाभ्रेत्यर्थः / अल्प इति किम् ? चन्दनानुलिप्ता स्त्री // 45 // स्वाङ्गादेस्कृत-मित-जात-प्रतिपन्नाद् बहुव्रीहेः / / 4 / 46 // स्वाङ्गादेः कृतादिवर्जात् क्तान्ताद् बहुव्रीहेः स्त्रियां 'डीः' स्यात् / शङ्खभित्री, ऊरुभिन्नी / कृतादिवर्जनं किम् ? दन्तकृता, दन्तमिता, दन्तजाता,